Amritsar Train Accident: हादसे के 5 बरस.. जब रावण देखने की कोशिश में हुई थी 59 की ट्रेन से कटकर दर्दनाक मौत.. जानें कौन था जिम्मेदार

अमृतसर: वो मंजर कोई नहीं भूल पा रहा। क्षत-विक्षत पड़ी लाशों की तस्वीर आज भी प्रत्यक्षदर्शियों क आँखों में तैर रही है। दर्जनों परिवार ने देखते ही देखते अपनों को हमेशा के लिए खो दिया। चंद लम्हो में ही दशहरा उत्सव का जश्न उनके लिए कभी न ख़त्म होने वाले मातम में तब्दील हो गया।



दरअसल हम बात कर रहे है 2018 में अमृतसर में दशहरे की रात सामने आये दर्दनाक रेल हादसे की। एक ऐसा हादसा जिसने ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। दशहरा देखने पहुंचे लोगों को शायद इस बात का ज़रा भी आभास नहीं था कि यह दशहरा उनके जीवन का आखिरी दशहरा साबित होने वाला है। आज इस घटना को पांच साल पूरे हुए। ऐसे में हम एक बार फिर आपको उस दर्दनाक घटना से वाकिफ करते है जब 59 लोगों की मौत ने पूरे जश्न को बड़े मातम में बदलकर रख दिया था।

इसे भी पढ़े -  Sakti News : बन्धन बैंक सक्ती शाखा ने नगर पालिका अध्यक्ष श्याम सुंदर अग्रवाल के मुख्य आतिथ्य में मनाया 10वां स्थापना दिवस

क्या हुआ था 2018 में
2018 में दशहरे की रात अमृतसर-जालंधर डबल रेलवे ट्रैक से बमुश्किल 70 मीटर की दूरी पर, जोड़ा फाटक पर मानवयुक्त क्रॉसिंग के पास एक खुले मैदान में सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए थे। जहां शाम करीब 7.15 बजे दशहरे का जश्न मनाया जा रहा था। इस कार्यक्रम में तत्कालीन कांग्रेस मंत्री और अमृतसर पूर्व से विधायक नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू मुख्य अतिथि थीं।

अमृतसर रेलवे स्टेशन से 3 किमी दूर क्रॉसिंग को वाहनों के आवागमन के लिए बंद कर दिया गया था, लेकिन लोग इस फाटक में दोनों तरफ पटरियों के आसपास के इलाकों में फैले हुए थे। उनमें से कई लोग पटरियों पर खड़े हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया था कि पुलिस या स्थानीय प्रशासन द्वारा ट्रैक की घेराबंदी नहीं की गई थी। वही यह भी साफ़ नहीं है कि क्या पटरियों के किनारे इस कार्यक्रम की इजाजत दी गई थी या नहीं?

इसे भी पढ़े -  Sakti News : 'स्वदेशी अपनाओ, विदेशी भगाओ अभियान' में गूंजा संकल्प, सक्ती में चेंबर ऑफ कॉमर्स ने दिलाई शपथ

जैसे ही पुतला जलने लगा और उसके अंदर पटाखे फूटने लगे, कई लोगों ने दृश्य का वीडियो बनाने के लिए अपने फोन निकाल लिए। ऐसा लग रहा था कि शोर और भीड़ ने जालंधर से अमृतसर आ रही ट्रेन की आवाज़ को छिपा दिया है। जैसे ही ट्रेन पटरी पर धड़धड़ाती हुई कई मौज-मस्ती कर रहे लोगों को कुचलती हुई चली गई, ट्रेन इतनी तेज थी कि लाशें सभी दिशाओं में चीथड़े बनकर फ़ैल गए। इस तरह इस हादसे में करीब 61 लोगों की दर्दनाक मौत हुई। हैरानी की बात यह है कि आज इस घटना को पांच साल बीत चुके है लेकिन आज तक इस हादसे के लिए किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सका।

इसे भी पढ़े -  Dabhara News : 2 सितंबर को निःशुल्क नेत्र रोग एवं मोतियाबिंद जांच एवं निदान शिविर आयोजित, जिला पंचायत उपाध्यक्ष कमल किशोर पटेल द्वारा कराया जा रहा आयोजन

error: Content is protected !!