फिल्म का नाम बताने से पहले आपको एक किस्सा बताते हैं. बीआर चोपड़ा 1973 में डेनमार्क के एक रिटायरमेंट होम गए थे, इसी दौरान एक बुर्जुग ने उन्हें अपना अनुभव सुनाया था कि कैसे वे उम्र के इस पड़ाव पर बच्चे होने के बावजूद अकेले हैं. उस उम्रदराज व्यक्ति की बातें सुनकर चोपड़ा साहब का दिल भर आया और उस विषय पर उन्होंने फिल्म बनाने का निर्णय किया.
अब आपको फिल्म का नाम बताते हैं. यह फिल्म है ‘बागबां’, जो 3 अक्टूबर 2003 को रिलीज हुई थी. इस फिल्म की रूपरेखा 20 साल पहले ही तैयार हो गई थी और बीआर चोपड़ा के दिल में यदि फिल्म के लिए किसी का नाम पक्का था तो वे थे दिलीप कुमार.
बीआर चोपड़ा ने दिलीप साहब को जब फिल्म के बारे में बताया तो उन्हें भी फिल्म की कहानी बड़ी अच्छी लगी. फिल्म की कहानी लेखन टीम से अचला नागर भी जुड़ी हुई थीं. उन्होंने एक दफा बताया था कि दिलीप साहब का कहना था कि ना तो नरगिस है और ना ही मीना कुमारी ऐसे में मेरी जोड़ी किसी और के साथ कहां जम पाएगी. यही वजह रही कि यह फिल्म उस समय डिब्बाबंद हो गई.
लंबे अर्से बाद एक बार फिर बीआर चोपड़ा ने इस फिल्म को बनाने का जिम्मा लिया क्योंकि उनके जेहन में यह कहानी बसी हुई थी. दिलीप साहब के बाद उनके दिमाग में अमिताभ बच्चन का नाम आया क्योंकि वे ही ‘राज मल्होत्रा’ के किरदार को बेहतरी से आगे लेकर जा सकते थे. बस, यहीं से अमिताभ की किस्मत भी पलट गई.
फिल्म में बच्चों और मां बाप के रिश्ते को बखूबी दिखाया गया था. अमिताभ की पत्नी के किरदार में हेमा मालिनी और बेटे के रूप में सलमान खान को खूब पसंद किया गया था. ब्लॉकबस्टर रही इस फिल्म ने 43 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस किया थ, जबकि इसका बजट सिर्फ 10 करोड़ रुपये था.