देवियों के मंदिर अधिकतर पहाड़ों पर ही हैं… कभी सोचा है कि आखिर इसके पीछे क्या कहानी है?

भारत में हिंदू धर्म की ज्यादातर देवियों के मंदिर पहाड़ों पर बने हुए होते हैं. अगर आपने गौर किया होगा तो भारत में देवियों के जितने भी प्रमुख स्थान हैं वह सब के सब पहाड़ों पर है . फिर चाहे वह जम्मू में माता वैष्णो देवी का मंदिर हो, या फिर गुवाहाटी में मां कामाख्या का मंदिर हो, या हरिद्वार में मनसा माता का मंदिर हो या फिर बनसकंठा में कालिका माता का मंदिर हो. इन सभी मंदिरों में माता पहाड़ों पर ऊंचाइयों में विराजमान है. आखिर क्या कारण है कि देवियों के सभी मंदिर पहाड़ों पर होते हैं. चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह.



 

 

 

 

यह धार्मिक कारण कहा जाता है

वेद पुराणों में सृष्टि की मूलभूत रचनाओं के बारे में बताया गया है. पंचतत्व से यह धरती बनी है और पंच तत्व में ही विलीन हो जाएगी. यह पांच तत्व हैं जल, वायु, अग्नि, भूमि और आकाश है. वेदों और पुराणों के अनुसार इन पांच तत्वों के पांच देवता भी हैं.

 

 

 

भूमि के देवता है भोलेनाथ शिव, वायु के देवता है विष्णु, जल के देवता हैं गणेश जी, तो अग्नि के देवता हैं अग्नि देवता और आकाश के देवता हैं सूर्य. माता दुर्गा जिन्हें शक्ति का रूप भी कहा जाता है. उन्हें इन सब से सर्वोपरि माना गया है. पहाड़ों को धरती का मुकुट और सिंहासन भी कहा जाता है. इसलिए अधिकतर देवियों के स्थान पहाड़ों पर हैं।

 

 

 

एक कारण यह भी माना गया है

दरअसल ऊंची ऊंचे पहाड़ों पर देवियों के मंदिर होने के पीछे यह भी माना जाता है कि पुराने समय में साधु संतों को इस बात का अंदेशा था. इंसान जितनी भी समतल जमीन है उसे अपने इस्तेमाल में ले आएंगे और कहीं पर भी एकांत नहीं बचेगा.

 

 

 

क्योंकि जप,साधना और ध्यान करने के लिए एकांत बेहद जरूरी होता है. ऐसे में पहाड़ों को देवियों का स्थान बनाने के लिए उचित समझा गया. और ऊंचे पहाड़ों पर वातावरण भी शुद्ध होता है. तो साथ ही वहां जाकर सकारात्मकता का भी अनुभव होता है. इसलिए देवियों के स्थान पहाड़ो पर हैं.

 

 

 

इन देवियों के मंदिर है पहाड़ों पर

पहाड़ों पर देवियों के मंदिर की बात की जाए तो सबसे मुख्य मंदिर है माता वैष्णो देवी का जो जम्मू में है. तो वहीं इसके साथ ही गुवाहाटी में बना हुआ कामाख्या देवी का मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए बेहद आस्था रखता है. हरिद्वार में माता मनसा का मंदिर भी पहाड़ों पर ही बना है. भले यह मंदिर ऊंची चोटियों पर बने हो लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कोई कमी नहीं होती. हर साल यहां हजारों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं.

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