Baheradih News : बहेराडीह को स्वतंत्र पंचायत का दर्जा देने किसान स्कूल के संचालक ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र, जनदर्शन में कलेक्टर को भेंट कर सौंपा ज्ञापन

जांजगीर-चाम्पा. सालों से आश्रित गांव का दंश झेल रहे बहेराडीह गांव को स्वतंत्र ग्राम पंचायत का दर्जा देने की मांग को लेकर भारत के पहला किसान स्कूल के संचालक ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और जनदर्शन में कलेक्टर से मुलाकात कर लिखित रूप में ज्ञापन सौंपकर इस वर्ष बहेराडीह को पंचायत का दर्जा दिलाने की मांग की है। इस पर कलेक्टर ने स्थानीय निर्वाचन शाखा के अधिकारियों को विधिवत कार्यवाही करने का निर्देश जारी किया है।



इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि बहेराडीह गांव सालों से आश्रित गांव का दंश झेल रही है। बहेराडीह गांव पहले बलौदा ब्लॉक के सिवनी पंचायत का आश्रित गांव रहा। उसके बाद जाटा पंचायत में शामिल किया गया। जहाँ लंबे समय से बहेराडीह गांव के ग्रामीण आश्रित गांव का दंश झेलते आ रहे हैं। फिर भी ग्रामीणों के जागरूकता के कारण विकास हुई है।

उल्लेखनीय है कि बहेराडीह गांव जिले का एक मात्र जैविक कृषि ग्राम है। जहाँ के किसानों ने छत्तीसगढ़ के किसानों के सहयोग से किसानों के लिए किसान स्कूल भी खोल लिया है जो भारत का पहला किसान स्कूल है। जहाँ पर भारत के दर्जनों राज्यों के अलावा कई देशों के लोग यहाँ पर भ्रमण और प्रशिक्षण के लिए आते हैं। ऐसे गांव को स्वतंत्र और आदर्श ग्राम पंचायत बनाने की मांग को लेकर वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव ने प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखा है और जनदर्शन में सोमवार 10 जून को कलेक्टर आकाश छिकारा को मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा है। जिस पर कलेक्टर ने तत्काल स्थानीय निर्वाचन शाखा के अधिकारियों को बुलाकर विधिवत कार्यवाही करने का निर्देश जारी किया।

 

राशन के लिए तीन किलोमीटर का चक्कर
बहेराडीह गांव के ग्रामीण प्रतिमाह राशन के लिए तीन किलोमीटर दूर पंचायत मुख्यालय जाटा स्थित शासकीय उचित मूल्य की दुकान जाना मजबूरी हो गया है। इससे पहले भी तीन किलोमीटर सिवनी राशन के लिए चक्कर काटना पड़ता था। आश्रित गांव का लगातार दंश झेल रहे बहेराडीहवासियों की इस समस्या से निजात दिलाने किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव ने पहल किया है।

,,,,,नई पंचायत बनाने का क्या है मापदंड
जानकारों के मुताबिक, नई ग्राम पंचायत बनाने के लिए गांव की जनसंख्या एक हजार से अधिक होना चाहिए और राजस्व गांव की श्रेणी में होना अनिवार्य है, वहीं दूसरी तरफ उस गांव में वार्ड की संख्या 6 से अधिक होना चाहिए, जबकि बहेराडीह गांव की जनसंख्या एक हजार से अधिक है, यह गांव राजस्व गांव की श्रेणी के साथ ही साथ 6 वार्ड से अधिक है। जहाँ शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय भी संचालित है। नये और स्वतंत्र ग्राम पंचायत के लिए बहेराडीह गांव हरेक मापदंड के अनुरूप है। किसान स्कूल के संचालक द्वारा ज्ञापन में उल्लेखित जानकारी का परीक्षण पश्चात नियमानुसार बहेराडीह को अलग से नई स्वतंत्र ग्राम पंचायत बनाने का आस्वासन कलेक्टर आकाश छिकारा ने दिया है। कलेक्टर के समक्ष यह जानकारी भी प्रस्तुत किया गया कि यह इस गांव को 15 साल पहले कृषि विज्ञान केंद्र भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में गोद लिया था। उसके बाद कृषि मंत्री राज्य सरकार ने इस गांव को जैविक कृषि ग्राम के रूप में राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन के तहत पायलट प्रोजेक्ट के तहत लिया था। उसके बाद इस समय बलौदा जनपद उपाध्यक्ष नम्रता राघवेंद्र नामदेव ने इस गांव को गोद लिया है। यहाँ के ग्रामीणों की जागरूकता को देखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कई विभागों के अलावा कई जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस गांव को गोद लेने आगे तैयार हो रहे हैं। किसान स्कूल के संचालक ने कलेक्टर को यह भी भरोसा दिलाया है कि बहेराडीह स्वतंत्र ग्राम पंचायत बनने के बाद यहाँ पंचायत प्रतिनिधि सदैव निर्विरोध निर्वाचित होंगे।

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