खोजकर्ताओं ने बताया कि जहाज पर 100 से अधिक शैंपेन की बोतलें हैं. जहाज को ढूंढने वाले पोलैंड के डाइविंग ग्रुप बाल्टिटेक के गोताखोर टोमाज स्टैचुरा का मानना है कि शिपमेंट रूसी जार (राजा) के लिए जा रहा होगा.
टीम के लीडर स्टैचुरा ने कहा, ‘मैं 40 सालों से गोताखोरी कर रहा हूं. आपको खोज के दौरान जहाजों के मलबे में ऐसी एक या दो बोतल मिल जाती हैं, लेकिन मैंने इतनी अधिक संख्या में शराब और पानी की बोतलें एक साथ नहीं देखीं.’
जहाज को स्वीडन के ओलांद द्वीप से 37 किलोमीटर दूर समुद्र में ढूंढा गया है. स्टैचुरा ने बताया कि उनके दो डाइवर्स छोटी डाइव के लिए पानी में उतरे लेकिन दो घंटे तक बाहर नहीं निकले जिसके बाद उन्हें लग गया कि नीचे कुछ दिलचस्प है.
उन्होंने बताया, ‘हम पहले ही जान गए थे कि नीचे कुछ तो दिलचस्प है.’ मलबे में मिली बोतलों पर जर्मन कंपनी सेल्टर्स का ब्रांड नाम है. बोतलों से ही खोजकर्ताओं को पता चला कि जहाज 1850-1867 के बीच डूबा हो सकता है.
पुलिस की सुरक्षा में रहता था मिनरल वाटर
19वीं सदी में डूबे जहाज पर 100 से अधिक शैंपेन की बोतलें मिलना हैरानी की बात है और उससे भी हैरानी की बात जहाज पर मिनरल वाटर की पेटी का मिलना है. स्टैचुरा ने बताया कि उस दौर में मिनरल वाटर बेहद खास हुआ करता था और उसे दवा की तरह रखा जाता था. इसका इस्तेमाल उस दौर के राजा किया करते थे.
स्टैचुरा कहते हैं, ‘मिनरल वाटर इतना कीमती था कि इसे लाने के दौरान पुलिस गाड़ियों को सुरक्षा देती थी.’
रूसी राजा निकोलस-प्रथम का सामान ले जा रहा था जहाज
स्टैचुरा ने एक इंटरव्यू में बात करते हुए कहा कि उनका मानना है कि जहाज रूसी जार निकोलस-प्रथम के लिए जा रहा होगा. रूसी राजा का एक जहाज कथित तौर पर 1852 में इसी इलाके में डूब गया था. वो कहते हैं, ‘और यही वजह है कि जहाज पर इतने कीमती सामान भरे हुए थे. आमतौर पर ऐसा होता है कि जब हम मलबे ढूंढते हैं तो उन पर सस्ते सामान लदे होते.’
स्टैचुरा कहते हैं कि जहाज पर मिला शैंपेन और मिनरल वाटर को आज भी पिया जा सकता है. रूस के लोग उस दौर में शैंपेन में अधिक चीनी पसंद करते थे और उस दौर में शैंपेन में ब्रांडी भी मिलाया जाता था. इसी वजह से 19वीं सदी की शैंपेन आज भी पीने लायक बची हुई है. वहीं, मलबा 58 मीटर नीचे ठंडे और अंधेरे में था जिससे शैंपेन लंबे समय के बाद भी खराब नहीं हुआ है.