नई दिल्ली. 43 साल की चुकीं श्वेता तिवारी आज सिंगल मदर हैं. उन्होंने अपनी लाइफ में एक बार नहीं दो-दो बार शादियां की. हालांकि, उनकी दोनों ही शादियां बेहद बुरे तरीके से टूट गईं. उनकी दोनों शादियां मीडिया में काफी चर्चे में रही है. दोनों बार उन्हें अलग-अलग परिस्थियों से गुजरना पड़ा. उन्होंने बेहद दर्द और तकलीफ झेला. अब उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें कई बार धोखा दिया गया है. हालांकि, उन्होंने समय के साथ इससे निपटना सीख लिया है.
श्वेता तिवारी का कहना है कि वह अपने परिवार में इंटर-कास्ट मैरिज करने वाली पहली महिला थीं. उन्होंने यह भी बताया कि घरेलू हिंसा की शिकायतों के बावजूद उन्होंने अपने पहले पति यानी पलक के पिता राजा चौधरी को तलाक को क्यों नहीं देना चाहती थीं. श्वेता ने आगे दावा किया कि जिन लोगों ने उन्हें धोखा दिया वे उनके बेहद करीबी दोस्त थे. हालांकि अब उन्होंने उन लोगों को छोड़ दिया. वे लंबे समय से अपनी गलतियों पर पछतावा कर रहे हैं.
श्वेता तिवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘जब आपको पहली बार धोखा मिलता है, तो यह आपको बहुत परेशान करता है. आप रोते हैं, आपको लगता है, ‘भगवान, मेरे साथ ही क्यों?’ आप इसे ठीक करने की कोशिश करते हैं, आप इसे ठीक करने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं. दूसरी बार जब ऐसा होता है, तो आपको एहसास होगा कि यह कभी भी दुख देना बंद नहीं करेगा, यह ऐसे ही चलता रहेगा. जब तीसरी बार आपको धोखा मिलता है, तो यह आपको दुख देना बंद कर देता है.इसका आप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. अब जब कोई मुझे धोखा देता है, जब कोई मुझे दुख पहुंचाता है, तो मैं उनसे इसकी शिकायत नहीं करती. मैं बस खुद को अलग कर लेती हूं. मुझे दुख पहुंचाना उनके व्यक्तित्व में है और अब यह मेरे व्यक्तित्व में है कि मैं दुखी न होऊं.’
श्वेता तिवारी आगे कहती है, ‘मैं अब उन्हें वह पावर नहीं देती. और अचानक उन्हें एहसास होता है. ‘ओह, वह चली गई.’ अब तक, मैंने देखा है कि जिन लोगों की जिंदगी मैंने छोड़ दी है और चली गई है, वे पछता रहे हैं.’
जब श्वेता से पूछा गया कि राजा संग इतने खराब रिश्ते के बावजूद वह रिश्ते में रही. इसके पीछे क्या वजह थी? . इस पर श्वेता ने कहा, ‘मेरे पूरे परिवार में किसी ने कभी लव मैरिज नहीं की थी, लेकिन मैंने की. हमारे परिवार में कास्ट ( जाति) को लेकर भी काफी समस्याएं थीं, फिर भी मैंने इंटर-कास्ट मैरिज की. लोगों ने पहले ही मेरी मां को ताना मारना और मेरी शादी को जज करना शुरू कर दिया था.
श्वेता तिवारी आगे बताती हैं कि अगर उन्होंने तलाक की अर्जी दी होती, शायद वो अलग ही दुनिया होती. वो कहती हैं, ‘उस समय ऐसा नहीं था कि मैं आर्थिक रूप से आजाद नहीं थी, बल्कि ये एक इमोशनल मामला था. मैं अपनी बेटी के बड़े होने पर पिता ना होने के कारण परेशान थी. बाद में मुझे एहसास हुआ कि आपका परिवार तभी खुशहाल हो सकता है, जब आप मानसिक रूप से खुश हों. अपने बच्चे के लिए एक अव्यवस्थित परिवार में रहना अच्छी परवरिश नहीं है. अगर दो लोग एक साथ नहीं रह सकते तो अलग हो जाना ही बेहतर ऑप्शन होता है.
श्वेता तिवारी आगे बताती हैं कि अगर उन्होंने तलाक की अर्जी दी होती, शायद वो अलग ही दुनिया होती. वो कहती हैं, ‘उस समय ऐसा नहीं था कि मैं आर्थिक रूप से आजाद नहीं थी, बल्कि ये एक इमोशनल मामला था. मैं अपनी बेटी के बड़े होने पर पिता ना होने के कारण परेशान थी. बाद में मुझे एहसास हुआ कि आपका परिवार तभी खुशहाल हो सकता है, जब आप मानसिक रूप से खुश हों. अपने बच्चे के लिए एक अव्यवस्थित परिवार में रहना अच्छी परवरिश नहीं है. अगर दो लोग एक साथ नहीं रह सकते तो अलग हो जाना ही बेहतर ऑप्शन होता है.