Ganesh Chaturthi: भारत में हैं भगवान गणेश के प्राचीन मंदिर, इनमें से एक की रावण के भाई ने की थी स्थापना

हिन्दू धर्म में किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, क्योंकि उन्हें प्रथम पूज्य का वरदान प्राप्त है। बता दें, भगवान गणेश के भक्तों के लिए सबसे बड़ा त्योहार गणेश चतुर्थी है, जो 10 दिनों का उत्सव होता है। आपको इस त्योहार की रौनक पूरे देशभर में अलग ही देखने को मिलेगी। खासकर भारत में मौजूद भगवान गणेश के कई प्राचीन मंदिरों में। यहां पूरे मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और मान्यता है कि भगवान गणेश के सामने सिर झुकाने से ही मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यहां अपनी गलतियों की माफी मांगने से ही गणेशजी मन की सारी इच्छाएं पूरी कर देते हैं। तो आइए आपको बताते हैं भारत के 5 गणपति मंदिर के बारे में।



सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई
यह प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में स्थित है। यह शहर के भव्य मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 1801 में लक्ष्मण विठू और देउबाई पाटिल ने करवाया था। इस मंदिर के अंदर भगवान गणेश के एक रूप सिद्धिविनायक की मूर्ति को एक छोटे मंडप में स्थापित किया गया है।

गर्भगृह के लकड़ी के दरवाजे अष्टविनायक को दर्शाते हैं, जबकि भीतरी छत पर सोने का पानी चढ़ा हुआ है। बता दें, गणेश चतुर्थी के मौके पर सिद्धिविनायक मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है। इस खास मौके पर देशभर के हर कोने से भक्त भगवान गणेश का दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

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रिच दगडूशेठ हलवाई मंदिर, पुणे
रिच दगडूशेठ हलवाई मंदिर महाराष्ट्र, पुणे के सबसे लोकप्रिय गणपति मंदिरों में से एक है, जो पुणे में स्थित है। यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए भी प्रसिद्ध है। बता दें, मंदिर 1893 में पुणे के दगडूशेठ हलवाई के बेटे की प्लेग से मृत्यु के बाद बनवाया था। इस मंदिर में देश-विदेश से लोग भगवान गणेश के दर्शन के लिए आते हैं।

उच्ची पिल्लयार कोइल मंदिर, तमिलनाडु
रॉक फोर्ट तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में एक पहाड़ी की चोटी है, जहां पर उची पिल्लयार नाम का भगवान गणेश का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। यह मंदिर करीब 273 फीट की ऊंचाई पर है और मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 400 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर की स्थापना की कहानी रावण के भाई विभीषण से जुड़ी हुई है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण के वध के बाद श्रीराम ने विभीषण को भगवान रंगनाथ की मूर्ति भेंट की थी। श्री राम ने विभीषण से कहा था कि इस बात का ध्यान रखना कि तुम इस मूर्ति को एक बार जहां भी रख दोगे, यह वहीं स्थापित हो जाएगी। इसलिए विभीषण उस मूर्ति को लंका ले जाना चाहते थे। रास्ते में विभीषण को कावेरी नदी में स्नान करने की इच्छा हुई।

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रणथंभौर गणेश मंदिर, राजस्थान
यहां त्रिनेत्री गणेश मंदिर है। देशभर से लोग शुभ कार्य के दौरान पारिवारिक गणेश निमंत्रण पत्र लिखकर त्रिनेत्री गणेश जी को आमंत्रित करते हैं। घर में शादी हो तो अक्सर पास के किसी प्रसिद्ध मंदिर में गणेश निमंत्रण दिया जाता है, लेकिन परंपरा है कि लोग शादी के कार्ड डाक या कूरियर से रणथंभौर भेजते हैं। यहां भेजे गए कार्ड या पत्र पर श्री गणेश जी रणथंभौर लिखना ही काफी है।

यहां पहुंचने वाले कार्डों को गणेश जी की मूर्ति के सामने लाया जाता है और उनके कान में पढ़कर सुनाया जाता है। इसके साथ ही गणेश जी के चरणों में कार्ड रखकर शुभ कार्य पूरा होने की कामना की जाती है। हर साल गणेश चतुर्थी पर मंदिर के पास गणेश मेला लगता है, जहां लाखों लोग आते हैं।

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कनिपकम विनायक मंदिर, चित्तूर

यह विनायक मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के कनिपक्कम में स्थित है। कुलोथुंग चोल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। बाद में 14वीं सदी की शुरुआत में विजयनगर साम्राज्य के शासकों ने इस मंदिर का विस्तार किया था। लाखों भक्त भगवान गणेश की पूजा करने आते हैं। अधिकांश भक्त ब्रह्मोत्सवम उत्सव के दौरान गणेश चतुर्थी पर इस प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर में आते हैं।

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