धार्मिक एवं पौराणिक नगरी छग की काशी में अन्यत्र दुर्लभ छठवीं शताब्दी के एक मात्र शबरी मन्दिर में महामाया अध्यात्म परिषद के संयोजकत्व में शरदपूर्णिमा के शुभअवसर पर 17 अक्टूबर को महिला कीर्तन मण्डली द्वारा कीर्तन भजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया।आज के इस कार्यक्रम में हरिकीर्तन महिला मण्डली शुकुल पारा खरौद ने ढोलक मंजीरा और खँजरी के साथ मनमोहक भजन कीर्तन करते हुए उपस्थित सभी श्रद्धालु श्रोताओं के मन को मोह लिया । कार्यक्रम के ब्यवस्थापक और महामाया अध्यात्म परिषद के वरिष्ठ सदस्य धनसाय यादव ने बताया कि धार्मिक मान्यतानुसार शरदपूर्णिमा को चन्द्रमा अपने पूरे सोलहवों कला के साथ उदय होता है।इसी किरण में आयुर्वेदिक ओषधि का असर रहता है।इसी ओषधि को लोग अमृत रूप मानते हैं।
शरदपूर्णिमा को ही भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला किये थे।भजन कीर्तन कार्यक्रम में हेमलाल यादव ने कहा कि जो जीभ पाकर भी कीर्तनीय भगवान श्रीकृष्ण का कीर्तन नही करता वह दुर्बुद्धि मनुष्य मोक्ष की सीढ़ी पाकर भी उस पर चढ़ने की चेष्टा नही करने जैसा है। कलयुग में भगवान को पाने या ,मुक्ति पाने का यह सरल उपाय है इसलिये जब कभी भी समय मिले भगवन्नाम का कीर्तन करते रहना चाहिए।ध्वनि के विचार से भगवान के नाम का जप रूपी भेद कीर्तन है जिसमे ब्यक्तिगतरूप में अथवा सामूहिक रूप में राग लय तथा ताल समन्वित वाद्यस्वरों से स्वर मिलाकर नाम का कीर्तन किया जाता है।भगवान तो कहते हैं जहाँ मेरे भक्त मेरा गान करते हैं वहाँ ही मैं उपस्थित रहता हूं।
आज के भजन कीर्तन कार्यक्रम में महिला कीर्तन मण्डली के गौरी यादव तिरबेनी यादव सावित्री ताराबाई यादव शान्ति श्रीवास ललिता थवाईत चन्द्रप्रभा यादव कांतिबाई नोनियाँ सविता रात्रे भगवती साहू चमेली यादव उत्तरा नोनियाँ चंद्रकला नोनियाँ सतरूपा यादव दुलौरिन यादव रामबाई यादव नर्मदा यादव गौरी नोनियाँ रमेश्वरी श्रीवास मदालसा यादव ऐश्वर्या सोनी सुभद्रा सोनो जीवनबाई सोनी कावेरी यादव आदि सदस्यों के अलावा मनोहर देवांगन बहरता यादव कांति यादव और सरवन यादव उपस्थित रहे।