खाने के लिए नहीं बल्कि इस काम में इस्तेमाल होती थी रुमाली रोटी, पता चलते ही आज से छोड़ देंगे खाना..

आज जो हम रुमाली रोटी खाते हैं, उसे जब बनाया गया था तो खाने के लिए बिल्कुल भी नहीं बनाया गया था। बल्कि उस रोटी का इस्तेमाल ऐसे काम में किया जाता था कि अगर आप सुन लेंगे तो इस रुमाली रोटी को खाना छोड़ देंगे।



 

 

 

रुमाली रोटी का नाम तो आपने सुना होगा। नॉन वेज खाने वाले लोगों को तो यह अच्छे से पता होगा कि रुमाली रोटी क्या होती है। अक्सर नॉन वेज भोजनालयों में रुमाली रोटी खाने के लिए परोसे जाते हैं। लेकिन क्या आप जाने हैं कि ये जो रुमाली रोटी आज हम खाते हैं। उसे खाने के लिए नहीं बनाया गया था। जिस काम के लिए इस रोटी को बनाया गया था वह जानकर आज के बाद से शायद आप रुमाली रोटी खाना छोड़ दें। तो चलिए आज हम आपको यह बताते हैं कि असल में रुमाली रोटी को किस काम में इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया था।

 

 

असल में इस काम के लिए इस्तेमाल होती है रुमाली रोटी
दरअसल, रुमाली रोटी की शुरूआत मुगल काल के दौरान हुई। मुगल काल में शाही भोजनों को परोसते समय रुमाली रोटी भी परोसी जाती थी। लेकिन उस वक्त लोग इस रोटी को खाते नहीं थे। बल्कि वे रुमाली रोटी का इस्तेमाल शाही भोजन से अतिरिक्त तेल निकालने या फिर पोंछने के लिए करते थे।  “रुमाली” नाम हिंदी शब्द रुमाल से बना है। जिसका काम हाथ, नाक और मुंह पोंछना है। इसके अलावा आमतौर पर लोग रुमाल का इस्तेमाल किसी भी चीज को पोंछने के लिए करते हैं।

 

 

 

पहली बार कहां बनाई गई थी ये रोटी
ऐसे में खाने के समय अतिरिक्त तेल को पोंछने के लिए रुमाली रोटी बनाई गई थी। मुगल काल में इस रुमाली रोटी को रूमाल की तरह मोड़कर राजाओं के लिए खाने के मेज पर रखा जाता था। रुमाली रोटी एक नरम और बहुत ही पतली रोटी होती है। बता दें कि रुमाली रोटी की उत्पत्ति पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुई थी। इस रोटी को पाकिस्तान में रुमाली रोटी नहीं बल्कि “मांडा” या “लंबू रोटी” के नाम से जाना जाता है। रुमाली रोटी को आम तौर पर गाढ़ी और मलाईदार करी के साथ परोसा जाता है। या फिर इस रोटी को अक्सर मुगलई व्यंजनों के साथ भी परोसते हैं।

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