जांजगीर-चाम्पा. छत्तीसगढ़ राज्य के कृषि प्रधान जांजगीर-चाम्पा जिले में स्थित वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान सकूल बहेराडीह में पहली बार राज्य स्तरीय भाजी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जहां छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों की जीवंत प्रदर्शनीयलगेगी, वहीं भाजियों के अवशेष से निर्मित रंग बिरंगी राखियां और कपड़े के स्टॉल भी लगाए जाएंगे. महोत्सव में लोग अमारी भाजी के फूल की चाय की चुस्की के साथ ही विविध प्रकार की भाजियों से बने पकौड़े का भी स्वाद लेंगे.
इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि वे पिछले 12 सालों से छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों को लेकर अनुसंधान कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने अपने सहयोगियों के सहयोग से भाजियों के अवशेष से रंग बिरंगी राखियों समेत कपड़ा बनाने का काम भी पूरा कर लिया है. प्रति वर्ष यहां पर 23 दिसंबर को किसान दिवस धूमधाम से मनाया जाता है, जहां छत्तीसगढ़ के प्रगतिशील किसानों, धरोहर में पुरानी सामग्री भेंट करने वाले लोगों और पत्रकारों को सम्मानित किया जाता है. उन्होंने बताया कि किसान स्कूल परिसर में 10 दिसंबर, मंगलवार को सुबह 10 बजे से राज्य स्तरीय भाजी महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.
भाजी के साथ महोत्सव में शामिल होंगे किसान
किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव और संरक्षक डॉ. सुरेश कुमार देवांगन ने बताया कि 10 दिसंबर मंगलवार को किसान स्कूल परिसर में 10 बजे से आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय भाजी महोत्सव में जितने भी किसान शामिल होने आयेंगे. वे सभी विविध प्रकार की भाजियों के साथ ही शामिल होंगे, वहीं महोत्सव के दौरान लाल अमारी के फूलों की चाय की चुस्की के साथ किसान विविध प्रकार की भाजियों से बने पकौड़े, पूरी का भी स्वाद लेंगे.
भगवान ने खाया था विदुर के घर भाजी
ऐसी मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के पहले भगवान श्री कृष्ण ने दुर्योधन के 56 भोग छोड़कर महात्मा विदुर के घर भथुआ भाजी की सब्जी खाये थे, वहीं हलषष्ठी पर्व के दिन 6 प्रकार की भाजियों का भोग लगाया जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था. वे शेष अवतार के माने जाते हैं और कृषि कार्य में इस्तेमाल होने वाले हल को शस्त्र के रूप में धारण करते थे। इस वजह से हलषष्ठी पूजा में बिना हल चले होने वाले फसलों की मान्यता के चलते इस पर्व को हलषष्ठी के नाम से जाना जाता है। छत्तीसगढ़ की महिलाएं इस ब्रत में 6 प्रकार की भाजी का भोग लगाती हैं.
छत्तीसगढ़ की 36 भाजियां –
1.बोहार भाजी,
2.भथुआ भाजी,
3.नुनिया भाजी,
4.मुसकेनी भाजी,
5.केना भाजी,
6.मुनगा भाजी,
7.सुनसुनिया भाजी,
8.मखना भाजी,
9.अमारी भाजी,
10.पटुआ भाजी,
11.कोचई भाजी,
12.चरौटा भाजी,
13.करमता भाजी,
14.पोई भाजी,
15.लाल भाजी,
16.गोंदली भाजी,
17.चनौरी भाजी,
18.मुरई भाजी,
19.करेला भाजी,
20.पालक भाजी,
21.चौलाई भाजी,
22.गोभी भाजी,
23.खेड़ढा भाजी,
24.मेथी भाजी,
25.चेच भाजी,
26.चना भाजी,
27.तिवरा भाजी,
28.मुढ़ी भाजी,
29.सरसों भाजी,
30.पीपर भाजी,
31.कांदा भाजी,
32.बर्रे भाजी,
33,.कुरमा भाजी,
34.पहुना भाजी,
35.कोइलार भाजी,
36.रोपा भाजी,