खरौद. माघी पूर्णिमा के पावन अवसर पर 12 फरवरी 2025 को महिला कीर्तन मण्डली द्वारा नगर के छठवीं शताब्दी में निर्मित भक्तिमति माता शबरी के प्राचीन शबरी मन्दिर में प्रभु श्रीराम और अनुज लक्ष्मण जी तथा माता शबरी की धूप दीप से पूजनोपरान्त केला, बेर आदि फलों की भोग लगाकर उत्साह पूर्वक भजन कीर्तन किया गया।इस अवसर पर हेमलाल यादव गुरुजी ने बताया कि काशी में प्रधानतया शिव की उपासना की जाती है।यह काशी विश्वेश्वर शिव जी का पूजा स्थल है।
ठीक उसी तरह छत्तीसगढ़ में लक्ष्मणेश्वर शिवलिंग के रुप में साक्षात विश्वेश्वर शिव जी का विराजमान होने से पुरातात्विक ,पौराणिक एवं धार्मिक नगरी खरौद को छत्तीसगढ़ का काशी होने का गौरव प्राप्त है।काशीपुरी तीर्थों में उत्तमतीर्थ और क्षेत्रों में उत्तम क्षेत्र है। काशी के गुणों के विषय मे यहां बहुत कहने से क्या लाभ जो काशी का नाम भी लेते हैं उनसे धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष ये चारों पुरुषार्थ दूर नही रहते
न गायत्री समो मन्त्रो न काशीसदृसीपुरी।न विश्वेश समं लिंगं सत्यं सत्यं पुनः पुनः।उन्होंने आगे बताया कि प्रत्येक ब्यक्ति को प्रतिदिन हरिनाम का जप,कीर्तन अवश्य करना चाहिए।शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि-
‘न गंगा न गया सेतुर्न काशी न च पुष्करम् ,जिव्हाग्रे वर्तते मध्य हरिरित्यक्षरद्वयम्’।।
शास्त्र कहते हैं कि जिसके जिव्हा पर हरि का नाम है अर्थात जो हरि भजन करते हैं उसे गंगा गया सेतुबंध रामेश्वर ,काशी पुष्कर कही जाने की आवश्यकता नही है। काशी में तप करने ,अग्नि तापकर काया कल्प करने,अश्वमेध यज्ञ करने या स्वर्णदान करने से जो पूण्य मिलता है, उसकी तुलना हरिनाम स्मरण या हरिनाम कीर्तन करने के पुण्य से नही की जा सकती।
कार्यक्रम के संयोजक महामाया आध्यात्म परिषद के अध्यक्ष शिवरात्री यादव ने शबरी मन्दिर में महिला कीर्तन मण्डली द्वारा प्रत्येक पूर्णमासी को भजन कीर्तन आयोजन का एक वर्ष पूर्ण होने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह शबरी मंदिर उस भक्तिमति माता शबरी की दुनियां में एक मात्र छठवीं शताब्दी की भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित प्राचीन शबरी मंदिर हैजिन्होने त्रेतायुग में बनवास काल मे प्रभु श्रीरामचन्द्रजी को बेर खिलाई थी।इसे ,हम ही नही कह रहे हैं अपितु इसका उल्लेख गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित धार्मिक मासिक पत्रिका कल्याण अंक वर्ष 98 संख्या 05मई2024 में छत्तीसगढ़ का शिवरीनारायण मन्दिर शीर्षक में डॉ प्रदीप कुमार शर्मा ने भी उल्लेख किया है कि शिवरीनारायण के पास खरौद में दुनियां का एकमात्र शबरीमन्दिर स्थित है।पौराणिक कथाओं के अनुसार रामायणकाल से ही यहां शबरी का आश्रम है। अंत मे महामाया आध्यात्म परिषद के वरिष्ठ एवं सक्रिय सदस्य धनसाय यादव ने आभार ब्यक्त कर कार्यक्रम समापन की घोषणा किया ।आज के कार्यक्रम के प्रसाद की ब्यवस्था स्व,जगदीश प्रसाद यादव केशियर की धर्मपत्नी द्वारा की गई।
कार्यक्रम को सफल बनाने में चन्द्रप्रभा यादव फगनी बाई, कांति नोनिया अमरिका कुर्रे त्रिवेणी यादव गौरीबाई यादव भगवती साहू ,सविता बाई रात्रे ,मदालसा बाई यादव, ललीता थवाईत, रामेश्वरी श्रीवास,जीवनबाई सोनी, प्रीति सोनी, शतरूपा यादव ,कीर्तन मति आदित्य, कौशिल्या यादव, कमला यादव, श्याम बाई यादव, दुरपति यादव, केवरा बाई यादव, रामशरण शर्मा, कांति यादव ,लाला साहू आदि का पूर्ण सहयोग रहा।