पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए बीते कई सालों से सरकार और शासन-प्रशासन प्रयास कर रही है. इसके लिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने के साथ समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है. लेकिन छत्तीसगढ़ के जगदलपुर शहर में एक महिला में पर्यावरण के प्रति इतनी जागरूकता दिखी कि उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ अपने वार्ड और शहर को स्वच्छ बनाने में पूरी तरह से जुट गई. उन्होंने बिना किसी मदद के अपनी लगन और मेहनत से बायो एंजाइम तैयार किया.
इस महिला ने संतरे के छिलके और नीम के पत्तों के साथ ही बची हुई सब्जियों से बायो एंजाइम तैयार किया और पूरे बस्तर जिले की बायो एंजाइम तैयार करने वाली पहली महिला बनी. महिला के सराहनीय कार्य को देखते हुए बस्तर के कलेक्टर और निगम कमिश्नर ने उन्हें स्वच्छ भारत मिशन की ब्रांड एंबेसडर भी बनाया है. वे चाहती हैं कि इस तरह से वे बाकी महिलाओं, कॉलेज और स्कूली छात्रों को भी बायो एंजाइम बनाने की प्रशिक्षण दे. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके.
जैविक कचरे से तैयार कर रही बायो एंजाइम
जगदलपुर शहर के गुरु गोविंद सिंह वार्ड में रहने वाली 40 वर्षीय महिला ऋतु सिंह ने बताया कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने शिक्षक और केंद्रीय विद्यालय की नौकरी छोड़ी और अब वे इस बायो एंजाइम के उपयोग से लोगों को जागरूक कर रही हैं. इसके अलावा स्कूल और कॉलेज के बच्चों को भी बायो एंजाइम बनाने के लिए इसके तरीके सीखाने की योजना बना रही हैं. उन्होंने कहा कि इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए आने वाले दिनों में नगर निगम और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बात भी करेंगे. ऋतु सिंह ने बताया कि वे संतरे के छिलके और नीम के पत्तों के साथ ही बची हुई सब्जियों का उपयोग कर बायो एंजाइम बना रही हैं.
इसके साथ ही रीठा और शिकाकाई का उपयोग उनके द्वारा बर्तन और कपड़े को साफ करने में किया जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि इन पदार्थों से बने एंजाइम का उपयोग वे फर्श और टॉयलेट क्लीनर, रूम स्प्रे, शैम्पू के रूप में भी कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह से एंजाइम से स्किन को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है.
बायो एंजाइम तैयार करने की विधि
ऋतु सिंह ने बताया कि इस बायो एंजाइम को तैयार करने में 4 वस्तुओं की आवश्यकता होती है. इसमें 2 लीटर की प्लास्टिक बोतल, 300 ग्राम फल और सब्जियों के छिलके, 100 ग्राम गुड़ और 1 लीटर पानी का उपयोग किया जाता है. छिलकों को पानी और गुड़ को प्लास्टिक की बोतल में डालकर ढक्कन को अच्छे से बंद कर दिया जाता है. वहीं 1 महीने तक हर रोज ढक्कन ढीला कर गैस निकाला जाता है.
उसके बाद दूसरे महीने से गैस कम बनेगी इसके लिए तीन-चार दिन में गैस निकालने की आवश्यकता होती है. तीसरे महीने में 15 दिन के बाद बोतल से पूरा गैस निकाल दिया जाता है. 90 दिन में एंजाइम बनकर तैयार हो जाता है.
1 लीटर पानी में 1 मिलीलीटर एंजाइम डालकर इसका उपयोग किया जा सकता है. साथ ही पौधों के लिए 1 लीटर पानी में 5 से 7 मिलीलीटर एंजाइम मिलाना होता है. उन्होंने बताया कि बायो एंजाइम कार्बनिक घोल है जो विभिन्न फलों और सब्जियों के छिलके और फूलों सहित जैविक कचरे के फर्मेंटेशन के माध्यम से तैयार होता है.
ऋतु सिंह की हो रही तारीफ
इधर ऋतु सिंह के द्वारा तैयार किए जा रहे इस बायो एंजाइम की जमकर तारीफ हो रही है और लोग इसका इस्तेमाल भी कर रहे हैं. हालांकि इसके लिए अभी जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है. लेकिन वहीं जिन लोगों ने भी इस बायो एंजाइम का इस्तेमाल किया है वे इससे काफी प्रभावित हुए और उनका कहना है कि पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए यह बायो एंजाइम काफी कारगर साबित हो सकती है. ऐसे में सभी महिलाओं को बायो एंजाइम तैयार कर इसका उपयोग किया जाना चाहिए.