सक्ती. मालखरौदा ब्लॉक के बंदोरा गांव के ग्रामीण घर बैठे पैरा से रस्सी बनाकर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. बंदोरा गांव के ग्रामीण दशकों से पैरा से रस्सी बनाने का काम कर रहे हैं, उन्हें घर बैठे रोजगार मिल गया है.इस गांव में अधिकांश लोग पैरा से रस्सी बनाने का काम करते हैं. खास बात यह है कि गांव में ही रोजगार मिलने से लोगों को पलायन करना नहीं पड़ता है और बन्दोरा गांव के लोग, स्वावलंबन के मिसाल बन गए हैं, क्योंकि लोगों ने घर पर ही रोजगार की व्यवस्था कर रखी है. यह सिलसिला दशकों से चला आ रहा है.यहां बच्चों से लेकर महिला, पुरुष, बुजुर्ग अपने घर में पैरा से रस्सी बनाने का काम करते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि पैरा से रस्सी बनाने का काम उनके पूर्वजों के जमाने से चला आ रही है. यहां के ग्रामीण एक परिवार में प्रतिदिन 150 से 200 तक पैरा से रस्सी बनाने का काम करते हैं, जिसकी कीमत 70 से 80 रुपये एवं रस्सी की मांग बढ़ने पर 90 से 100 रुपये सैकड़े तक बिक्री की जाती है .जिले के आलावा छत्तीसगढ़ के सभी जिलों तक पैरा रस्सी की बिक्री की जाती है. यहां व्यापारी स्वयं घरों में आकर पैरा रस्सी खरीदकर ले जाते हैं और छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में बिक्री की जाती है.यहां के ग्रामीण बरसात के मौसम समाप्त होते ही फसल तैयार होने से पहले पैरा से रस्सी बनाने का काम प्रारंभ कर देते हैं और निरंतर अपने काम में लगे रहते हैं पैरा से रस्सी बनाने की बंदोरा के ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यह गांव स्वावलंबन की मिसाल है और गांव में रोजगार मिलने से लोगों को पलायन भी नहीं करना पड़ता है.