Covid 19 News: भारत, ब्रिटेन… 22 देशों में फैला कोरोना का नया घातक वेरिएंट, दुनिया में फिर लगेंगे प्रतिबंध!

भारत समेत दुनियाभर में कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट फिर से वैज्ञानिकों को डराने लगा है। कोरोना के इस नए वेरिएंट का नाम आकटूरस है और वैज्ञानिकों का कहना है कि हम इससे निपटने के लिए अभी तैयार नहीं हैं। आकटूरस वेरिएंट को XBB.1.16 के नाम से भी जाना जाता है और यह पूरी दुनिया में बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं और वैज्ञानिक लगातार चेतावनी दे रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि आकटूरस जल्‍द ही पूरी दुनिया में सबसे ज्‍यादा प्रबल वेरिएंट बन जाएगा। आइए जानते हैं कि कोरोना का यह नया वेरिएंट कितना खतरनाक है…



​भारत में नए वेरिएंट से कोविड के मामलों में तेजी​

वैज्ञानिकों ने कहा कि ओमिक्रोन का यह सब वेरिएंट पिछले स्‍ट्रेन की तुलना में ज्‍यादा आक्रामक हो सकता है। इसकी वजह स्‍पाइक प्रोटीन म्‍यूटेशन है। इस नए वेरिएंट का बच्‍चों में बहुत बुरा असर पड़ रहा है। बच्‍चे conjunctivitis के शिकार हो रहे हैं। भारत में इस समय कोरोना के मामलों में बहुत ज्‍यादा तेजी आ गई है। हर सप्‍ताह भारत में 11,109 नए मामले सामने आ रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह आकटूरस वेर‍िएंट की वजह से है। यह कोविड स्‍ट्रेन अब भारत, ब्रिटेन समेत दुनिया के 22 देशों तक पहुंच गया है। इसके फैलने का क्रम लगातार जारी है जिससे वैज्ञानिक टेंशन में आ गए हैं।

इसे भी पढ़े -  Sakti News : गोवर्धन पूजा पर मालखरौदा जनपद पंचायत अध्यक्ष कवि वर्मा ने कलमी गांव में गौ माता की पूजा-अर्चना, गौ माता को कराया भोजन

​दुनिया में घट गई है कोरोना की टेस्टिंग

ब्रिटेन के वायरोलॉजिस्‍ट प्रोफेसर लारेंस यंग ने द इंडिपेंडेंट से बातचीत में कहा कि जब भी एक नया वेरिएंट पैदा होता है तो आपको उसका पता लगाना होता है क्‍या वह पहले से ज्‍यादा संक्रामक है। ज्‍यादा बीमारी पैदा करने वाला है या क्‍या यह ज्‍यादा रोगजनक है। इस तरह की चीजें जीनोमिक सर्विलांस के महत्‍व को दर्शाती हैं। उन्‍होंने सलाह दी कि हम तब तक यह आश्‍वस्‍त नहीं हो सकते हैं कि चारों तरफ कौन सा वेरिएंट है और किसी स्‍तर का संक्रमण इसकी वजह से हो रहा है।

इसे भी पढ़े -  Sakti News : बड़ेसीपत गांव में रजत जयंती के अवसर पर किसान सम्मेलन कार्यक्रम आयोजित, मालखरौदा जनपद अध्यक्ष कवि वर्मा, उपाध्यक्ष रितेश साहू हुए शामिल, शासन की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील

यह तब तक पता नहीं चल पाएगा जब तक कि इसकी वजह से व्‍यापक प्रकोप नहीं फैल जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में टेस्टिंग, वैक्‍सीन लगवाने और संक्रमण की वजह का पता लगाने की क्षमता में काफी कमी आ गई है।

क्‍या फिर लगाना होगा कोरोना प्रतिबंध?

वैज्ञानिकों ने कहा कि इसका मतलब यह है कि अगर दुनिया में यह कोविड का घातक वेरिएंट बढ़ता है तो हम उसके लिए तैयार नहीं होंगे। ऐसे में इस वेरिएंट से बचने के हमें एक और सख्‍त प्रतिबंध लगाना पड़ सकता है। ऑक्‍सफर्ड वेरिएंट की रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप में टेस्टिंग की दर साल 2022 की शुरुआत में गिरकर 1000 लोगों पर 613 हो गई थी जो अब बहुत ही कम हो गई है। दुनिया में अब तक 5 अरब लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है। ये टीका कुछ ही महीने में संक्रमण को रोकने में कारगर है। हालांकि अभी भी 30 फीसदी लोग कोरोना की वैक्‍सीन से महरूम हैं।

इसे भी पढ़े -  Sakti News : बड़ेसीपत गांव में रजत जयंती के अवसर पर किसान सम्मेलन कार्यक्रम आयोजित, मालखरौदा जनपद अध्यक्ष कवि वर्मा, उपाध्यक्ष रितेश साहू हुए शामिल, शासन की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील

error: Content is protected !!