क्या आप जानते हैं केला टेढ़ा ही क्यों होता है? जानिए इसके पीछे क्या है कारण…

अगर केले की बात करें तो केले की बनावट से सभी वाकिफ हैं, आपने देखा होगा कि आज तक आपने कितने भी केले खा लिए होंगे, वे सभी बनावट में टेढ़े-मेढ़े होंगे। क्या कभी अपके मान में जे खयाल आया है कि केला किस लिए टेढ़ा है? क्या यह सीधा नहीं हो सकता था?



 

 

 

 

 

दरअसल इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है, तो चलिए जानते है पूरी जानकारी-

वानस्पतिक इतिहास, Botanical history-
केले का वानस्पतिक इतिहास (Botanical history) कहता है कि केले के पेड़ का जन्म सबसे पहले वर्षावन के बीच में हुआ था। यहां धूप ठीक से नहीं पहुंच पाती थी। इसलिए केले के पेड़ों को विकसित होने के लिए उसी वातावरण के अनुकूल होना पड़ा। इस प्रकार जब सूर्य का प्रकाश आने लगा तो केले सूर्य की ओर बढ़ने लगे और उनका आकार टेढ़ा हो गया।

इसे भी पढ़े -  Sakti News : नगर पंचायत नया बाराद्वार में भाजपा के जितेश शर्मा बने उपाध्यक्ष, जीत के बाद निकाली रैली, मंदिर में परिवार सहित टेका मत्था

 

 

 

इसलिए टेढ़ा है?
पेड पर बाल में केले का फाल काली में है काली में काली पर बेदे है, प्रत्येक पत्ते के नीचे एक केले का गुच्छा छिपा होता है, शुरुआत में केला जमीन की ओर बढ़ता है और आकार में सीधा होता है, लेकिन विज्ञान में Negative geotropism की प्रवृत्ति के कारण पेड़ सूर्य की ओर बढ़ते हैं, केले के साथ भी यही चलन होता है, जिसके बाद में केला ऊपर की ओर बढ़ने लगता है, तो केले का आकार टेढ़ा हो जाता है, सूरजमुखी में भी नकारात्मक भू-आकृति प्रवृत्ति होती है।

इसे भी पढ़े -  Sakti News : चरौदा में सहायक संचालक मछली पालन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जनपद अध्यक्ष कवि वर्मा हुए शामिल, मछुवारा समितियों को किया सामग्री का वितरण

error: Content is protected !!