हालांकि, कुछ वर्षों पहले ट्रेनें डीजल इंजन से चलती थीं लेकिन आज पूरी तरह से रेलवे का विद्युतीकरण हो गया है. ऐसे में लगभग सभी छोटी और बड़ी ट्रेनें बिजली से चलती हैं.
ट्रेनों को चलने के लिए करंट इंजन के ऊपर लगे एक डिवाइस से मिलता है. हैरानी की बात है कि यह करंट इंजन और ट्रेन में नहीं फैलता है. यह बात शायद कम ही लोग जानते हैं.
बता दें कि बिजली से चलने के बावजूद आपको ट्रेन में करंट इसलिए नहीं लगता क्योंकि कोच का सीधा संपर्क हाईवोल्टेज लाइन से नहीं होता है. इस टच हाईवोल्टेज लाइन से ट्रेन पटरी पर दौड़ती है.
हाईवोल्टेज लाइन से करंट की सप्लाई ट्रेन को इंजन के ऊपर लगे एक पेंटोग्राफ से मिलती है. आपने देखा होगा कि ट्रेन के इंजन के ऊपर लगा यह पेंटोग्राफ हमेशा हाईवोल्टेज लाइन से कनेक्ट रहता है.
वहीं, सवाल यह भी है कि कोच हाईवोल्टेज लाइन के संपर्क में नहीं होने के कारण करंट से बच जाते हैं लेकिन इंजन में तो करंट उतरता है फिर इसमें बिजली के झटके क्यों नहीं लगते हैं.
दरअसल इंजन में पेंटोग्राफ के नीचे Insulators लगाए जाते हैं ताकि करंट इंजन बॉडी में नहीं आए. इसके अलावा ट्रैक्शन ट्रांसफर्मर, मोटर आदि इलेक्ट्रिकल डिवाइसेज से निकलने के बाद रिटर्न करंट पहियों और एक्सल से होते हुए रेल में और अर्थ पोटेंशियल कंडक्टर से होते हुए वापस चला जाता है.L