दाऊजी, क्या पत्रकार ऐसे रहेंगे सुरक्षित, जहां अपनी गलती छिपाने के लिए पत्रकारों के खिलाफ हो रही है झूठी शिकायत, पीएचसी प्रभारी के लिए पत्रकार हुए लामबंद

जांजगीर-चांपा. पत्रकारिता जिसे चौथा स्तंभ भी कहा जाता है. पत्रकारिता जनता को समसामयिक घटनाएं वस्तुनिष्ठ तथा निष्पक्ष रुप से उपलब्ध कराने का महत्वपूर्ण कार्य है. सत्य की आधार शीला पर पत्रकारिता का कार्य आधारित होता है तथा जनकल्याण की भावना से जुड़कर पत्रकारिता सामाजिक परिवर्तन का साधन बन जाता है. पत्रकारों की जिम्मेदारी होती है कि शासन-प्रशासन की योजनाओं को जनता तक पहुंचाना और जनता की समस्या को शासन-प्रशासन तक पहुंचाना, उनका एक कर्तव्य होता है. अगर सिस्टम में कहीं लापरवाही होती है, उसे भी उजागर करने की जिम्मेदारी भी पत्रकारों की होती है, ताकि वह सिस्टम में सुधार हो और शासन की तमाम योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंचे, लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि लापरवाह सिस्टम को उजागर करने पर लापरवाह सिस्टम के जिम्मेदार अपनी गलती को छुपाने के लिए पत्रकारों के ऊपर ही अनर्गल आरोप लगा देते हैं, ताकि भविष्य में पत्रकारों की आवाज दब जाए. अरुण की कमजोरी किसी के सामने ना आए और उनका यह लापरवाह सिस्टम लंबे समय तक चलते रहे.
ऐसा ही मामला विधानसभा अध्यक्ष के गृह जिले स्वास्थ्य मंत्री के प्रभारी जिले जांजगीर-चांपा में देखने को मिल रहा है, जहां जिले के मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत फगुरम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लापरवाह चिकित्सक एवं स्टाफ के खिलाफ मीडिया समाचार पत्रों में खबर चली थी. दरअसल, फगुरम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी एवं स्टाफ ड्यूटी से हमेशा नदारद रहते हैं. जिसकी वजह से क्षेत्रवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है वही देश में कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य अनिवार्य सेवा है, लेकिन इनके हौसले इतने बुलंद है कि सरकार के तमाम आदेशों के बावजूद भी इनकी मनमानी यहां देखने को मिल रही है, वहीं यहां स्वास्थ्य सुविधा पूरी तरीके से चरमराई हुई है, जिसकी खबर पत्रकारों ने चलाई खबर चलने के बावजूद भी जब कार्यवाही लापरवाह पर नहीं हुई तो मीडिया ने इस खबर को लगातार शासन-प्रशासन के सामने लाई बावजूद भी कार्यवाही नहीं हुई, फिर बौखलाए पीएचसी प्रभारी राजकुमार गवेल ने पत्रकारों के खिलाफ झूठी शिकायत की. सबसे पहले तो खबर चलाने वाले मीडिया संस्थान के नाम पर फर्जी शिकायत की इसके बाद भी बात नहीं बनी तो पत्रकारों के खिलाफ भी सप्ताह भर बाद फर्जी शिकायत कर दी. शिकायत में कहा गया कि पत्रकारों द्वारा उसे फोन किया गया था. पत्रकार कोई भी खबर लगाने से पहले सामने वाले का पक्ष भी जानना चाहता है कि उसे इस मामले में क्या कहना है और उसी फोन कॉल को मुद्दा बनाकर शिकायत कर दी, वही बिना सबूत के पत्रकारों के खिलाफ फर्जी शिकायत पर पत्रकार जगत में रोष व्याप्त है.
पत्रकारों ने जिम्मेदारों को दिया ज्ञापन, झूठी शिकायत के आधार पर होगी कार्यवाही तो पत्रकार करेंगे आंदोलन
पत्रकारों ने लामबंद होकर अनुविभागीय अधिकारी पुलिस चंद्रपुर डभरा को ज्ञापन सौंपा. साथ ही साथ इसकी प्रतिलिपि गृह मंत्री, पुलिस महानिदेशक, पुलिस महा निरीक्षक बिलासपुर, पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर को भी भेजा गया है, जिसमें पत्रकारों ने बिना किसी राजनीतिक दबाव के निष्पक्ष जांच की मांग की है. साथ ही, पत्रकारों ने यह भी कहा है कि अगर झूठी शिकायत के आधार पर पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज होती है तो पत्रकार भविष्य में आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी.



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