छत्तीसगढ़ में रायपुर की रहने वाली 56 वर्षीया पुष्पा साहू को लोग ‘हरियाली दीदी’ के नाम से जानते हैं। गार्डनिंग से खास लगाव रखने वाली पुष्पा साहू ने अपने घर की छत को सुंदर से बगीचे में बदल दिया है। उन्होंने साबित किया है कि बिना खेती की जमीन के भी लोग कैसे अपनी छतों पर जैविक फल-सब्जियां लगा सकते हैं।
उनके बगीचे में सभी मौसमी सब्जियों के साथ लगभग 12 तरह के फलों के और लगभग 10 तरह के औषधीय पेड़-पौधे हैं। गृह विज्ञान विषय में पढ़ाई करने वाली पुष्पा साल 2013 से बागवानी कर रही हैं। वह अपने बगीचे की देखभाल जैविक तरीकों से करती हैं। उनके इस काम के लिए उन्हें सम्मान भी मिला है।
“मैं किसान परिवार से हूं। इसलिए हमेशा प्रकृति के करीब रही हूं। पेड़-पौधे लगाने का शौक हमेशा से रहा लेकिन पहले बहुत ज्यादा कर नहीं पाती थी। क्योंकि मेरे पति सरकारी कॉलेज में शिक्षक थे और हम क्वार्टर में रहते थे। जिसमें बड़े स्तर पर पेड़-पौधे लगाना मुमकिन नहीं था। लेकिन जब हमने अपने खुद के घर में शिफ्ट किया तो मैंने बगीचे पर ध्यान दिया।” बगीचा लगाने के पीछे उनका उद्देश्य सिर्फ हरियाली नहीं बल्कि अपने परिवार को शुद्ध और जैविक फल-सब्जियां खिलाना भी है।
‘हरियाली दीदी’ पुष्पा साहू
वह कहती हैं, “अक्सर मैं देखती थी कि बाजार से लाये हुए केले कुछ ही दिनों में गलने-सड़ने लगते थे। इस बारे में हम घर में बात करते थे तो मुझे पता चला कि फलों को पकाने के लिए इन पर हानिकारक रसायनों का छिड़काव होता है। यह जानने के बाद मुझे लगा कि मुझे अपने परिवार को शुद्ध चीजें खिलाने की एक कोशिश करनी चाहिए और तब मैंने बागवानी करने का फैसला किया।” लेकिन समस्या यह थी कि उनके घर के ग्राउंड फ्लोर पर खुली जगह नहीं है तो बागवानी कहां की जाए?
उनके पति ने आईडिया दिया कि छत का प्रयोग इस काम के लिए अच्छा रहेगा। पुष्पा बताती हैं कि उन्होंने फलों के पौधे लगाने से ही शुरुआत की और धीरे-धीरे साग-सब्जियां भी लगाना शुरू कर दिया।
प्लास्टिक के बड़े ड्रम में लगाए फलों के पौधे
पुष्पा साहू ने कहा कि छत पर बागवानी करने में अक्सर डर रहता है कि छत को कोई नुकसान न पहुंचे। उन्हें फलों के पेड़ लगाने थे और इनका वजन सामान्य सब्जियों से ज्यादा होता है।
इसलिए उन्होंने भारी सीमेंट के गमलों की जगह प्लास्टिक के 500 और 1000 लीटर तक के ड्रम लिए। इन ड्रम को उन्होंने छत पर कॉलम वाली जगह पर रखा। हम सब जानते हैं कि घर के निर्माण के समय कॉलम बनाए जाते हैं ताकि घर मजबूती से खड़ा रहे। बहुत से लोग इन कॉलम को छत पर भी निकलवाते हैं ताकि ये बैठने या गमले रखने के काम आ सकें।
पुष्पा ने इन कॉलम पर ड्रम रखकर सभी फलों के पेड़ लगाए। इसके अलावा, सब्जियां और औषधीय पौधों के लिए वह गमले या ग्रो बैग इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने बताया, “मेरे बगीचे में लगभग 12 तरह के फलों के पेड़ हैं जिनमें अमरुद, कीनू, मौसम्बी, आम, नींबू, कमरक (स्टार फ्रूट), चीकू, सेब, पपीता, ड्रैगन फ्रूट, एप्पल बेर, और करौंदा शामिल हैं। इसके अलावा, औषधीय पौधों में काली तुलसी, एलोवेरा, अडूसा, अश्वगंधा, पत्थरचट्टा, शतावर आदि शामिल हैं।”
प्लास्टिक के ड्रम, बाल्टी और गमलों में लगाए पेड़-पौधे
जैविक फलों के साथ-साथ वह मौसमी सब्जियां भी अपने बगीचे में ही लगा लेती हैं। टमाटर, मिर्च, बैंगन, लौकी, भिंडी, बीन्स, पालक, मेथी जैसी लगभग 20 तरह की सब्जियां उनके बगीचे में काफी अच्छी मात्रा में हो जाती हैं। वह कहती हैं, “इनके साथ अजवायन, कई तरह की हल्दी, अदरक आदि की उपज भी मैं ले लेती हूं। अगर मौसमी सब्जियों के साथ सभी तरह के पेड़-पौधों की गिनती करूं तो मैं छत पर लगभग 100 तरह की चीजें लगा चुकी हूं। हमारे घर में फल-सब्जियों की 80% से ज्यादा जरूरत बगीचे से पूरी हो जाती है।”
प्रतिमाह लगभग 3000 रुपए की बचत भी
पुष्पा कहती हैं कि अक्सर लोग कहते हैं कि इस तरह का बगीचा सेटअप करने में बहुत खर्च आता है। उन सभी लोगों को वह एक-एक कदम आगे बढ़ाने की सलाह देती हैं। जैसे कि जरुरी नहीं आप एकसाथ ही पूरा बगीचा लगाएं। आप दो-तीन पौधों से शुरू करें। इससे आप पौधों की अच्छी देखभाल भी कर पाएंगे। जैसे-जैसे आपकी पेड़-पौधों के बारे में जानकारी बढ़ेगी, आप अपने बगीचे में और पौधे लगाते रहें। इस तरह से आपको समय जरूर लगेगा लेकिन आप अपने बजट में काम कर पाएंगे।
पुष्पा साहू का कहना है कि बागवानी जब बढ़ती है तो इसमें खर्च कम होने लगता है। उन्होंने बताया, “शुरुआत में हमें मिट्टी, रेत, कोकोपीट, गोबर की खाद और केंचुआ खाद- इन सभी चीजों पर खर्च करना पड़ा। लेकिन अब किसी चीज पर खर्च करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि खाद रसोई और बगीचे के जैविक कचरे से तैयार हो जाती है। मैं पौधों में किसी भी तरह का रसायन इस्तेमाल नहीं करती हूं। कीट प्रतिरोधक भी नीम के पत्तों या प्याज, अदरक का इस्तेमाल करके घर पर बना लिया जाता है। पौधे भी आप बाद में कटिंग से लगाना शुरू कर सकते हैं।”
आगे उनका कहना है कि जब आप अपने घर में ही जैविक फल-सब्जियां लगाने लगते हैं तो बाजार पर निर्भरता कम होने लगती हैं। जैसे अब वह खुद बहुत कम सब्जियां या फल बाहर से खरीदती हैं। दूसरा सबसे बड़ा फायदा होता है स्वास्थ्य पर। पुष्पा कहती हैं कि यह फायदा काफी समय में समझ में आना शुरू होता है। लेकिन यह सच है कि आप जितना शुद्ध और पौष्टिक खाते हैं, उतना ही आप कम बीमार पड़ते हैं और दवाइयों पर खर्च कम होता है।
मिला है सम्मान
“इस तरह से मेरा एक अंदाजा है कि मैं हर महीने लगभग 3000 रुपए की बचत कर पा रही हूं। क्योंकि अच्छा खाने के कारण हमारा डॉक्टर के पास जाना बहुत ही कम हो गया है। साथ ही, बाजार में फल-सब्जियों के दाम बढ़ने का भी अब कोई असर नहीं पड़ता है। लॉकडाउन में भी बगीचे के कारण हमें कहीं नहीं जाना पड़ा,” उन्होंने अंत में कहा।
पुष्पा साहू को उनकी इस पहल के लिए लोगों के साथ-साथ स्थानीय जिला प्रशासन से भी काफी सराहना मिल रही है। आज बहुत से लोग उनसे मार्दर्शन भी लेते हैं ताकि वे भी अपने घर में ही सब्जियां लगा सकें।