जांजगीर-चाम्पा. मालखरौदा ब्लॉक के सरपंच संघ ने निम्न मांगो को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.
दरअसल, जनपद पंचायत मालखरौदा अंतर्गत कोरोना काल एवं लॉकडाउन के समय सभी पलायन मजदूरों एवं दूसरे राज्य से बड़ी संख्या में वापसी के समय में सभी ग्राम पंचायतों को क्वारंटाईन सेंटर बना कर रहने एवं भोजन की व्यवस्था किया गया था, जिसका शासन द्वारा भुगतान नहीं किया गया है, जबकि भुगतान की समस्त प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
जनपद पंचायत मालखरौदा में योजना का क्रियान्वयन तथा पंचायत स्तर में आने वाले विभिन्न निर्माण कार्यों को कराने में सभी सरपंचों को बेहद परेशानी एवं स्थल चयन करने में कठिनाई होती है. अधिकांश शासकीय जगहों पर बेजाकब्जा रहता है. बेजाकब्जा को हटाकर शासकीय निर्माण कार्य को कराने में सरपंचों की जान जोखिम में आ जाती है.
ऐसा उदाहरण ग्राम पंचायत भूतहा तत्कालिक सरपंच स्व. द्वारिका प्रसाद चंद्रा की हत्या का है, जहां प्रशासनिक एवं राजस्व विभाग से कोई मदद नहीं मिलती, जबकि पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि कोई ग्राम पंचायत बेजाकब्जा हटाने का संकल्प पारित कर कार्रवाई के लिए तहसीलदार एवं राजस्व विभाग को संसूचित करता है तो ऐसे में तहसीलदार एवं राजस्व विभाग का कर्तव्य है कि बेजाकब्जा हटाकर शासन की योजना के क्रियान्वयन में सहयोग प्रदान करें, लेकिन मालखरौदा जनपद पंचायत के अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों के प्रति प्रशासनिक राजस्व एवं तहसीलदार को अपने कर्तव्य के प्रति उदासीनता से सभी सरपंचों का शासन के योजना के क्रियान्वयन जानलेवा साबित होता है. ऐसे विषय पर तत्काल संज्ञान लिया जाए.
जनपद पंचायत मालखरौदा मनरेगा अंतर्गत सभी पंचायतों द्वारा कराई जाने वाले मनरेगा कार्य का भुगतान, जिसमें मजदूरी का भुगतान कर दिया जाता है, पर मटेरियल का भुगतान एक साल तक रोक कर रखा जाता है. मनरेगा मटेरियल कार्य का भुगतान भी मजदूरी के भुगतान जैसा कार्य पूर्णतः दिनांक से 2 माह के अंदर किया जाए.
इन सभी मांगों को लेकर सरपंच संघ मालखरौदा ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. इस पर कलेक्टर ने मांगों के ज्ञापन को मुख्यमंत्री को प्रेषित करने की बात कही है.