नवीन शिक्षा पद्धिति प्रशिक्षण- ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल बनारी जांजगीर में आयोजित

ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल जांजगीर में अंतराम केशी (सहा. प्रध्यापक) उत्कर्ष शिक्षा महाविद्यालय सरखों, जांजगीर के द्वारा नवीन शिक्षा पद्धिति 2020 (N.E.P. 2020) प्रशिक्षण ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल जांजगीर के शिक्षक-शिक्षिकाओं को विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती सोनाली सिंह व स्कूल डारेक्टर आलोक अग्रवाल के सानिध्य में प्रशिक्षण दिया गया। यह विद्यालय के समस्त शिक्षकगण को प्रशिक्षित किया गया। जिसमें मुख्य रूप से नवीन शिक्षा पद्धिति व कौशल विकास और समय का सद््उपयोग पर मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डाला गया। शिक्षकों को छात्रों की प्रतिभा को निखारने में दूरदर्षिता एवं मनोवैज्ञानिक सिद्धातां को हर संभव समझ कर प्रयास करना चाहिए।



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इसी कडी में अंतराम केशी ने बताया कि एन.ई.पी का मुख्य उद्देश्य बच्चों के रूचि के अनुरूप उनका सर्वांगीण विकास करना है। राष्ट्रीय शिक्षानीति 1968 में आरंम्भ हुआ, सन् 1947 में शिक्षा (मूलभूत आवश्यकता) समय-समय पर शिक्षानीति में बदलाव हुआ है 21वीं सदी के बच्चों को टेक्नोलॉजी का भरपूर ज्ञान हो रहा है। इसलिए हमारे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी व शिक्षा मंत्रालयों ने नवीन शिक्षा पद्धिति को लागू किया और यह भारत में सबसे पहले झारखण्ड राज्य में लागू किया गया। शिक्षा निरंतर सीखने की प्रक्रिया है जिसमें उन्होंने बताया की शिक्षक कभी भी सेवानिवृती नहीं होते। शिक्षकों मे निम्नलिखित गुण निहित होनी चाहिए जैसे कि विषय का ज्ञान कौशल, आचार एवं व्यवहार ताकि बच्चों में शिक्षा के दौरान अनेक गुणो में परिवर्तन ला सके।

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जैसे आत्मविश्वास, दूरदर्षिता, सुमार्ग, समर्पण, व्यवहारिक ज्ञान, दृष्टिकोण, आदत इत्यादि के संदर्भ मे प्रशिक्षण दिया। साथ ही बच्चों में पढाई के प्रति रूझान, सपने, निर्णय, घोषणा, दिशा, दृढ़ निश्चय, अनुशासन और समय सीमा में कार्य को करना ये सभी गुण विद्यार्थियो में जागृत करने का तरीकों से अवगत भी कराये। विद्यार्थियों को पढाई के प्रति जागरूक करने के लिए नये-नये तरीके एवं अनेक प्रकार के क्रिया-कलापों के माध्यम से बच्चों को पढाना इत्यादि विषयों की जानकारी दी गयी। समय प्रबंधन के विषय में उन्होने बताया कि 8घंटा का कार्य, 6घंटा आराम, 4घंटा नियमित दिनचर्या व 4घंटा का समय हमें अपनी शिक्षण कौशल के विकास को निरंतर आगे बढ़ाने में तथा सिखने का सही उपयोग करना चाहिए जिससे हमारे सर्वांगीण विकास संभव है।

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कहानी के माध्यम से शिक्षको को बताया की हमें अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होना चाहिए। प्राचार्य श्रीमती सोनाली सिंह ने बताया कि स्किल का एस अक्षर से बहुत से शब्दों का ज्ञान दिया जैसे-एस-स्ट्रेन्थ, स्ट्रेट्जी, शेप, शॉप, शॉर्प, स्ट्रीक्ट, स्केन, स्क्रीन और बताया की हम अपने समय का सदोपयोग अच्छे तरह से कर सकते है।

विद्यालय प्रबंधन द्वारा अपने शिक्षकों के निरंतर शिक्षण कौशल विकास हेतु विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन का आश्वासन दिया गया। कार्यशाला के समापन में वक्ता जी को श्रीमद् भागवत गीता प्रदान किया गया और सभी शिक्षको द्वारा धन्यवाद् ज्ञापन किया गया।

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