नई दिल्ली: सोने की ज्वैलरी में हॉलमार्किंग के प्रावधान को अब लोगों ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि हॉलमार्किंग के नियमों में बदलाव होने से ग्राहक ही नहीं, ज्वैलर्स भी हैरान-परेशान हैं। अब केंद्र सरकार ने एक बार फिर से नियमों में बदलाव किया है। नया बदलाव यह है कि अगले एक अप्रैल से बिना ‘हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन डिज़िट’ (HUID) वाले सोने के गहने और कलाकृतियों को नहीं बेचा जा सकेगा। साथ ही उस तारीख से सिर्फ छह डिजिट वाले हॉलमार्क साइन वाली ज्वैलरी ही बिक पाएगी। सरकार के इस आदेश से भी ज्वैलर्स में परेशानी है। आइए इसे समझते हैं।
क्या है HUID निशान
दिल्ली बुलियन एंड ज्वैलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रसिडेंट विमल गोयल का कहना है कि HUID को गहने का आधार कार्ड कह सकते हैं। जैसे हर व्यक्ति का अलग आधार नंबर है, उसी तरह हर गहने का अलग HUID नंबर। इस नंबर को यदि आप बीआईएस के ऐप या वेबसाइट पर डालेंगे तो उस गहने की पूरी कुंडली खुल जाएगी। मतलब कि वह जेवर क्या है, उसका वजन कितना है, वह कितने कैरेट के सोने से बना है, कब बना है और किसने बनाया है। इससे ग्राहकों को बड़ी आसानी हो जाएगी और कारोबार में पारदर्शिता आ जाएगी।
चार और पांच डिजिट वाले स्टॉक अमान्य नहीं हो
सरकार ने दो साल पहले ही बता दिया था कि एक अप्रैल 2023 से सिर्फ छह डिजिट वाले हॉलमार्क साइन और HUID से लैस गहने ही बिकेंगे। लेकिन ज्वैलर्स ने इस अवधि को नाकाफी बताया है। जूलर्स का कहना है कि पुरानी व्यवस्था के अनुसार 4 व 5 डिज़िट के गहनों का स्टॉक अमान्य करना न्याय संगत नहीं है, इसे तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए। चांदनी चौक में कूचा महाजनी स्थित दि बुलियन एंड जूलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन योगेश सिंघल ने कहा कि पहले 5 डिज़िट, उसके बाद 4 डिजिट में होलमार्क होता था। 2 साल पहले इसे बदलकर 6 डिज़िट कर दिया गया और अब 4, 5 डिज़िट के गहनों की वैधता 31 मार्च 2023 कर दी गई है। इसके बाद यदि किसी जूलर के पास 4 या 5 डिजिट वाला आभूषण होगा, तो उसे 6 डिजिट में कन्वर्ट कराना होगा।
इसके लिए एक पीस पर 53.10 रुपये फीस लगेगी, जिसमे हॉलमार्क सेंटर को 40.50 रुपये फीस, बीआईएस को 4.50 रुपये रॉयल्टी और सरकार को 8.10 रुपये जीएसटी की कमाई होगी। इसका असोसिएशन पुरजोर विरोध करती है।
नए नियम से धोखाधड़ी के मामलों पर लगेगी लगाम
योगेश सिंघल ने बताया कि HUID नंबर ज्वैलरी की शुद्धता की पहचान होती है। यह एक 6 नंबर का अल्फान्यूमेरिक कोड होता है, जिसके जरिए ग्राहकों को गोल्ड जूलरी के बारे में सारी जानकारी मिल जाती है। 4, 5 डिज़िट हॉलमार्क मे यह सुविधा नहीं थी। गारंटी फेल होने पर कोड के जरिए शुद्धता जांचने वाले सेंटर की पहचान की जा सकती है। उसकी जवाबदेही तय की जा सकती है, जिसके कारण धोखाधड़ी के मामलों को रोकने मे मदद मिलेगी। यह यूनिक नंबर हर जूलरी पर अलग-अलग लगाया जाता है, जिसे ग्राहक खुद भी बीआईएस के मोबाइल ऐप पर कोड डालकर सोने और जूलरी की शुद्धता देख सकते है।
इससे कस्टमर और जूलर्स के बीच विश्वास पहले से भी ज्यादा बढ़ेगा। ग्राहकों की शिकायत पर पिछले दिनों बीआईएस द्वारा कई जूलर्स के यहां चेकिंग के दौरान 4 डिज़िट हॉलमार्क जूलरी पाई गई, जिसका बिल उनके पास नहीं था। शायद इसलिए सरकार ने 4, 5 डिज़िट की हॉलमार्क जूलरी की बिक्री पर 1 अप्रैल 2023 से प्रतिबंध लगाया है।
सोने की गारंटी बरकरार
कारोबारियों का कहना है कि ग्राहकों के पास रखी पुराने हॉलमार्क की जूलरी की गारंटी बरकरार रहेगी। सरकार ने पारदर्शिता बढ़ाने के लिए हॉलमार्क करने की व्यवस्था को ऑनलाइन करने की दिशा मे काम किया है।
देशभर में कुल 1,338 हॉलमार्किंग सेंटर
सोने की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने देश भर में हॉलमार्किंग सेंटर खुलवा दिए हैं। हालांकि ये सेंटर अभी 85 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हैं। अभी जिन क्षेत्रों में सेंटर नहीं हैं, वहां भी खुलवाए जा रहे हैं। इस समय देशभर में कुल 1,338 हॉलमार्किंग सेंटर चल रहे हैं।
फर्म का लोगो भी हो, तो जूलर की ब्रांडिंग होगी
दरीबा ज्वैलर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट तरुण गुप्ता का कहना है कि इस प्रावधान का विशेष असर कामकाज पर तो नहीं पड़ेगा। हालांकि, ग्राहक का विश्वास जरूर बढ़ेगा। अब तो दो साल हो गए हैं। इसमें एक समस्या दिख रही है। अल्फान्यूमेरिक HUID को इंटरनेट पर देख सकते हैं कि पुर्जा किसका है? इसमें जूलरी पर फर्म का लोगो नहीं होता है।
इससे दुकानदार की ब्रैंडिंग कैसे होगी? ग्राहक 5-7 साल बाद लौटेगा, तो कैसे पता चलेगा कि कहां का माल है? इसमें दुकान का लोगो भी डाल देंगे, तो जूलर की ब्रैंडिंग हो जाएगी। कस्टमर का भरोसा बढ़ेगा।
पहले 5 डिजिट वाले मार्क में दुकानदार का लोगो होता था। अब ये विषय अटका हुआ है। दुकानदार स्वैच्छिक लोगो लगा सकते हैं, जिसे आवश्यक बनाना चाहिए। अभी सोने का भाव बढ़ा हुआ है। ऐसे दौर में जूलर्स पर एक के बाद एक पाबंदी लग रही है। यदि थोड़ा समय और मिल जाए, तो छोटे जूलर को मौका मिलेगा। सरकार को 6 महीने का समय और मिलना चाहिए।