नई दिल्ली: अडानी ग्रुप (Adani Group) में एलआईसी (LIC) के कर्ज और निवेश पर हाल में काफी चर्चा हुई है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की 24 जनवरी को आई एक रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में एक महीने से भी अधिक समय तक भारी गिरावट आई। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को बताया कि पिछले तीन महीने के दौरान अडानी ग्रुप की कंपनियों को दिए गए एलआईसी के कर्ज में गिरावट आई है। सीतारमण ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि अडानी ग्रुप की कंपनियों में एलआईसी का डेट एक्सपोजर (Debt Exposure) 31 दिसंबर 2022 को 6,347 करोड़ रुपये था जो पांच मार्च को 6,183 करोड़ रुपये रह गया है।
वित्त मंत्री ने बताया कि अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) के पास सबसे ज्यादा 5,388.60 करोड़ रुपये का एक्सपोजर है। इसी तरह अडानी पावर मुंद्रा (Adani Power Mundra) के पास 266 करोड़ रुपये, अडानी पावर महाराष्ट्र लिमिटेड फेज-1 (Adani Power Maharashtra Ltd – Phase I) के पास 81.60 करोड़ रुपये, अडानी पावर महाराष्ट्र लिमिटेड फेज-3 (Adani Power Maharashtra Ltd – Phase III) के पास 254.87 करोड़ रुपये, रायपुर एनर्जेन लिमिटेड के पास 145.67 करोड़ रुपये और रायगढ़ एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड के पास 45 करोड़ रुपये का एक्सपोजर है।
सीतारमण ने साथ ही कहा कि पांच सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों ने अडानी ग्रुप की किसी भी कंपनी को लोन नहीं दिया है।
कितनी कंपनियों में है निवेश
फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि सरकारी बैंकों के मुताबिक अडानी ग्रुप को लोन प्रोजेक्ट्स की वायबिलिटी, कैश फ्लो अनुमान, जोखिम आदि फैक्टर्स को ध्यान में रखकर जारी किया गया है। अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट के कारण इन कंपनियों में एलआईसी के इनवेस्टमेंट की कीमत निगेटिव में चली गई थी। इससे एलआईसी के निवेश पर सवाल उठने लगे थे। हालांकि हाल में ग्रुप के शेयरों में तेजी आई है। इससे एलआईसी के निवेश की कीमत एक बार फिर ऊपर चली गई है। एलआईसी का अडानी ग्रुप की सात लिस्टेड कंपनियों में निवेश है।