Ujjain Mahakal: महादेव को गर्मी से बचाएगा 11 नदियों का जल, बांधी गई मटकों की गलंतिका

उज्जैन. श्री महाकालेश्वर को वैशाख एवं ज्येष्ठ मास की तपती गर्मी में ठंडक देने के लिए पुजारी-पुरोहितों द्वारा 11 कलश (ठंडे पानी की मटकी) से सतत जलधारा अर्पित करने का क्रम प्रारंभ हुआ. जो प्रतिदिन प्रात: भस्‍मार्ती के पश्‍चात सुबह 6 बजे से सायंकाल पूजन तक रहेगी. समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने विष पान किया था. गर्मी के कारण उष्णता बढ़ जाति है. अग्नि शमन के लिए ही शिव का जलाभिषेक किया जाता है. श्री महाकालेश्‍वर मंदिर में परंपरानुसार वैशाख कृष्‍ण प्रतिपदा से श्री महाकालेश्‍वर भगवान के ऊपर 11 मिट्टी के कलशों से सतत जलधारा हेतु गलंतिका बांधी गई है. जिसमें देशभर के प्रसिद्ध 11 नदियों का जल संग्रहित कर डाला गया है.



जिससे भगवान श्री महाकालेश्‍वर पर सतत शीतल जलधारा प्रवाहित की जा रही है. जो प्रतिदिन प्रात: भस्‍मार्ती के पश्‍चात 6 बजे से सायंकाल पूजन तक रहेगी. महाकाल मंदिर की परंपरा अनुसार वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक दो माह गलंतिका बांधी जाती है. गर्मी के दिनों में विष की गर्मी बढ़ जाती है. इसलिए वैशाख व ज्येष्ठ मास में भगवान को शीतलता प्रदान करने के लिए मिट्टी के कलश से ठंडे पानी की जलधारा प्रवाहित की जाती है. जिसको गलंतिका कहते हैं. वैशाख एवं ज्‍येष्‍ठ माह तपन के माह होते हैं. भगवान शिव का रूद्र एवं नीलकंठ स्‍वरूप को देखते हुए सतत शीतल जल के माध्‍यम से जलधारा प्रवाहित करने से भगवान शिव प्रसन्‍न एवं तृप्‍त होते है तथा प्रजा को भी सुख समृद्धि प्रदान करते हैं.

महाकाल मंदिर के पुजारी पं. यश शर्मा ने बताया समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने गरल (विष) पान किया था. धार्मिक मान्यता के अनुसार गरल अग्निशमन के लिए ही भगवान का जलाभिषेक किया जाता है. गर्मी के दिनों में विष की उष्णता और बढ़ जाती है, इसलिए मिट्टी के कलशों से शीतल जलधारा प्रवाहित की जाती है. मंगलनाथ व अंगारेश्वर महादेव मंदिर में भी वैशाख में गलंतिका बांधी जाएगी.

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