नई दिल्ली: एक तरफ देश के विभिन्न दल I.N.D.I.A. के तौर पर संगठित होकर भाजपा की सरकार को चुनौती दे रहे है, आने वाले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर करने का दम्भ भर रहे है तो वही दूसरी तरफ उनके विपक्षी गठबंधन दल भाजपा नीत एनडीए यानी राजग में अलग ही लड़ाई छिड़ी हुई है। यह लड़ाई भाजपा के साथ नहीं बल्कि राजग में शामिल लोजपा के दो गुटों के बीच हैं। पूरी लड़ाई एक ही सीट में चुनाव लड़ने की दावेदारी को लेकर हैं।
दरअसल लोकजनशक्ति पार्टी के दो गुट इस वक़्त एनडीए के गठबंधन दल के तौर पर शामिल हैं। एक तरफ जहां दिवंगत नेता रामविलास पासवान के भाई पारस नाथ का गुट हैं तो दूसरी तरह पासवान के बेटे चिराग पासवान का। दोनों ही दल भाजपा के सहयोगी हैं लेकिन फिलहाल पारसनाथ को रामविलास की जगह मंत्री बनाया गया हैं। रामविलास के निधन के बाद लोजपा में बड़ी फुट सामने आई थी। पारस नाथ ने बगावत करते हुए पार्टी की कमान खुद के हाथो में ले ली थी। उन्होंने खुद को लोजपा का असली गुट बताया था। उनके इस दावे के बाद उन्हें मंत्री बना दिया गया था।
दरअसल रामविलास पासवान की परंपरागत सीट हाजीपुर से पारस नाथ और चिराग दोनों ही लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। इस पर चिराग पासवान का कहना है कि जब से उन्होंने होश संभाला, तब से ही उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान को हाजीपुर के सांसद के तौर पर ही देखा। बेटा होने के नाते हाजीपुर से उनका लगाव है। 1977 के बाद से रामविलास पासवान हाजीपुर से 8 बार सांसद रहे थे। इस सीट से वह सिर्फ दो बार 1984 और 2009 में हारे थे। चिराग पासवान ने जमुई से अपनी सियासी पारी की शुरुआत की। 2019 में रामविलास पासवान हेल्थ इशूज के कारण चुनाव नहीं लड़े। वह राज्यसभा के माध्यम से संसद पहुंचे।
वही दूसरी तरफ चाचा पारसनाथ ने कहा कि वह एनडीए के सच्चे और सबसे विश्वसनीय सहयोगी हैं। वे शुरू से एनडीए के साथ हैं। जहाँ तक हाजीपुर से चुनाव लड़ने का सवाल हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें हाजीपुर से चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती। वे खुद अभी वहां से सांसद हैं।