सागर। जीवन मे जब वैराग्य आ जाता है तब मोह छूट जाता है लेकिन सांसारिक जीवन मे वैराग्य है तो परिवार,संतान और सभ्य जीवन शैली का त्याग करना असहज होता है लेकिन फिर भी कुछ संकल्प लेना है और कुछ त्याग तो करना है जिससे आत्मबल मजबूत बने बस इसी त्याग की खोज में सागर के रिटार्यड पुलिस अधिकारी शंकर लाल यादव ने आग पर पका हुआ भोजन और अन्न का त्याग कर दिया।
पिछले 28 वर्षों से शंकरलाल कच्ची मौसमी सब्जियां,फल और दूध भोजन के रूप में ले रहे है। 73 वर्षीय शंकरलाल का स्वास्थ,शरीर और ऊर्जा आज भी युवाओ के समान है।
सागर के मकरोनिया में रह रहे शंकरलाल यादव 2010 में पुलिस की नौकरी से रिटायर्ड हो चुके है और भजन पूजन के साथ ही कच्ची मौसमी सब्जियां और दूध का सेवन कर स्वस्थ और सात्विक जीवन जी रहे है। शंकरलाल बताते है कि वे कच्ची सब्जियों को सिर्फ सौंधे नामक के साथ खाते है। कभी लौकी और मूँगफली का मिश्रण दूध के साथ खा लिया तो कब्जी पालक आदि के साथ,कच्चे कद्दू और भिंडी आदि भी शंकरलाल के भोजन में शामिल है। इसके साथ ही शंकरलाल का एक और संकल्प है कि वे बाहर का पानी नही पीते और किसी का छुआ हुआ भी नही पीते।
शंकरलाल का परिवार कुछ दूर रहता है लेकिन स्वावलंबी शंकरलाल सब काम खुद ही करते है और किसी युवा की तरह स्वस्थ है। शंकरलाल का कहना है कि त्याग हमेशा प्रिये वस्तु का कारण चाहिए और मैंने जो अन्न और आग पर पका हुआ खाना छोड़ा है उससे मेरा मानना है कि हमे अधिक से अधिक प्राकर्तिक के अनुसार आचरण करना चाहिए।