मुंबई. बनारस की मशहूर तवायफ जद्दनबाई की बेटी हिंदी सिनेमा की मशहूर एक्ट्रेस लगभग चार दशक तक अपनी प्रतिभा से सिनेमा प्रेमियों के दिलों पर राज करती रही। न्होंने फिल्मों में हर तरह का किरदार निभाया और हर फिल्म की अपनी भूमिका में अपने अभिनय से वह जान डाल देती थीं। बता दें कि मशहूर तवायफ जद्दनबाई की बेटी जो एक्ट्रेस से पहले डॉक्टर बनना चाहती थी, उनका असली नाम कनीज फातिमा राशिद और एक्ट्रेस के तौर पर उन्हें लोग नरगिस दत्त के नाम से जानते हैं।
आपको बता दें कि नरगिस के पिता हिंदू थे, लेकिन वे अपना धर्म बदलकर अब्दुल राशिद बन गए थे। आपको जानकर यह हैरानी होगी कि एक्ट्रेस की शुरू में फिल्मों में आने की कोई इच्छा नहीं थी। वे डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करना चाहती थी, लेकिन मां जद्दनबाई के कहने पर निर्देशक महबूब खान को नर्गिस ने ऑडिशन दिया। वे चाहती थीं कि डायरेक्टर उन्हें ऑडिशन में फेल कर दें। लेकिन डायरेक्टर ने उनकी खूबसूरती और संवाद अदायगी से खुश होकर फिल्म ‘तकदीर’ में काम दे दिया। एक्ट्रेस आगे चलकर महान एक्ट्रेस कहलाई। वे पद्मश्री से सम्मानित होने वाली पहली बॉलीवुड एक्ट्रेस थीं।
कनीज फातिमा राशिद बनी नरगिस
नरगिस का जन्म कोलकाता में 1 जून, 1929 को हुआ था। उनका असली नाम कनीज फातिमा राशिद था। जद्दनबाई के गीत संगीत और फिल्मों में रूचि के कारण घर में फिल्मकारों का आना जाना लगा रहता था।
राज कपूर के साथ जोड़ी
नरगिस को राज कपूर के फ़िल्मी परदे पर काफी पसंद किया गया। लगभग 55 फिल्मों में दोनों ने साथ काम किया। 1956 में आई फिल्म ‘चोरी चोरी’ नरगिस और राजकपूर की जोड़ी वाली अंतिम फिल्म थी। कहा जाता है कि असल जिंदगी में भी नरगिस और राजकपूर कि अच्छी केमेस्ट्री थी।
दिल दे बैठी थी नरगिस
1957 में महबूब खान की फिल्म ‘मदर इंडिया’ ने नरगिस सुनील दत्त की मां कि भूमिका में थी। मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान सुनील दत्त ने नरगिस को आग से बचाया था। इस घटना के बाद नरगिस ने कहा था कि पुरानी नरगिस की मौत हो गयी है और नयी नरगिस का जन्म हुआ है। नरगिस ने उसी दिन से सुनील दत्त को अपना जीवन साथी चुन लिया।
राष्ट्रीय पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित
शादी के बाद नरगिस ने फिल्मों में काम करना कम कर दिया। करीब दस साल के बाद अपने भाई अनवर हुसैन और अख्तर हुसैन के कहने पर नरगिस ने 1967 में फिल्म ‘रात और दिन’ में काम किया। इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पहला मौका था जब किसी अभिनेत्री को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया। नरगिस को अपने सिने करियर में मान सम्मान बहुत मिला। वह पहली अभिनेत्री थीं जिन्हें पद्मश्री पुरस्कार मिला और जो राज्यसभा सदस्य बनी। कैंसर से जूझ रही नरगिस ने 03 मई, 1981 दुनिया से सदा के लिए रुखसत हो गई।