हिंदू धर्म की सबसे प्रमुख रचित किताब रामचरितमानस का लेखन तुलसीदास द्वारा किया था. जो कि रामायण की अवधि भाषा का संस्कृत में पुनर्लेखन है. हिंदू धर्म में इसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक माना जाता है.
हिंदू मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति रामचरित मानस की चौपाइयों का प्रतिदिन पाठ करता है तो भगवान श्री राम उसकी हर समस्या का समाधान तो करते ही हैं साथ ही उनकी कपा उस भक्त पर बनी रहती है.
जानें रामचरित मानस की इस चौपाई का अर्थ
हरि अनंत हरि कथा अनंता.
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए.
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥
तुलसीदास के अनुसार प्रभु श्री राम का कोई अंत नहीं है ना उनका कोई आदि. कोई भी मनुष्य प्रभु श्री राम के सुंदर चरित्र या उनके बारे में किसी भी प्रकार से व्यक्त नहीं कर सकता और ना किया जा सकता है.
इस चौपाई का अर्थ
जा पर कृपा राम की होई .
ता पर कृपा करहिं सब कोई ॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया .
तिनके हृदय बसहु रघुराया ॥
यदि किसी व्यक्ति पर प्रभु श्री राम की कृपा रहती है तो उसके आसपास भी कोई भी सांसारिक दुख भटक नहीं सकती. ऐसा इसलिए क्योंकि उस पर सभी की कृपा बनी हुई है. वहीं प्रभु श्री राम उन्हीं लोगों के हृदय के अंदर वास करते हैं जिनमें छल, कपट, झूठ और माया नहीं होती.
इस चौपाई का अर्थ
तुलसी काया खेत है, मनसा भयो किसान.
पाप.पुन्य दोउ बीज है, बुवै सौ लुनै निदान..
मनुष्य का शरीर एक खेत की तरह है और मन जो है वह एक किसान है. जैसे किसान खेत में बीज बोता है वैसा ही फल उसे मिलता है. ठीक वैसे ही जैसा मन में सोच रखोगे उसी अनुसार परिणाम मिलेगा.
इस चौपाई का अर्थ
आवत हिय हरषे नहीं, नैनन नहीं सनेह.
तुलसी तहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेह..
इस चौपाई के अनुसार ऐसे व्यक्ति के घर में नहीं जाना चाहिए जिनके मन में आपके प्रति को प्यार और खुशी ना हो. ऐसे घर में व्यक्ति का कितना भी लाभ छुपा है पर उसे नहीं जाना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. खबर सीजी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है.)