धरती का घूमना धीमा कर रहा चीन का विशालकाय बांध? दुनिया पर पड़ेगा ये असर, NASA ने सब कुछ बताया

क्या चीन का विशालकाय बांध धरती की घूमने की गति पर असर डाल रहा है? इसको लेकर कुछ वैज्ञानिक सबूत भी सामने आए हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक चीन के हुबेई प्रांत में यांग्त्जी नदी पर बने थ्री गॉर्जेस नाम के इस बांध के चलते धरती के घूमने पर असर पड़ रहा है।



 

 

 

चीन का यह बांध दुनिया का सबसे बड़ा बांध है और यहां बड़े पैमाने पर बिजली भी पैदा होती है। यह अपनी शानदार इंजीनियरिंग के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है। इस बांध को बनाने में दो दशक का समय लगा था और यह 2012 में बनकर तैयार हुआ था। थ्री गॉर्जेस बांध 7660 फीट लंबा और 607 फीट ऊंचा है। इस तरह यह दुनिया का विशालतम बांध है।

 

 

 

अपनी तमाम खूबियों के बावजूद थ्री गॉर्जेस बांध लगातार विवादों में रहा है। इस बांध का पर्यावरण पर तो खराब असर हुआ ही है, साथ ही सामाजिक रूप से भी यह परेशानी का सबब बना है। बांध बनने के चलते यहां पर करोड़ों लोगों को विस्थापित होना पड़ा। इसके अलावा 632 वर्ग किलोमीटर जमीन बाढ़ की चपेट में आ गई। इससे वन्यजीव आवास और स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हुए।

 

 

 

 

थ्री गॉर्जेस बांध 40 क्यूबिक किलोमीटर पानी स्टोर करने की क्षमता रखता है, जिससे 22,500 मेगावाट बिजली पैदा हो सकती है। इससे लाखों लोगों की बिजली की जरूरत पूरी होती है। बिजली पैदा करने के अलावा यह बांध बाढ़ पर नियंत्रण के अलावा नदियों के नेविगेशन में भी सुधार करता है। इस तरह से यह चीन की व्यापक आर्थिक और ढांचागत रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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धरती के घूमने पर कैसे असर
अब आते हैं कि थ्री गॉर्जेस बांध धरती के घूमने पर कैसे असर डाल रहा है? असल में इसको लेकर काफी पहले से सवाल उठते रहे हैं। साल 2005 में नासा की एक पोस्ट में यह विषय सबसे पहले सामने आया। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के जियोफिजिसिस्ट डॉ. बेंजामिन फोंग चाओ के अनुसार, बांध के विशाल जलाशय में पृथ्वी के द्रव्यमान के वितरण को स्थानांतरित करने के लिए पर्याप्त पानी है। यह जड़त्व के क्षण के सिद्धांत पर आधारित है, जो यह नियंत्रित करता है कि द्रव्यमान का वितरण किसी वस्तु की घूर्णन गति को कैसे प्रभावित करता है।

 

 

 

चाओ ने कैलकुलेट किया कि बांध का जलाशय एक दिन की लंबाई को लगभग 0.06 माइक्रोसेकंड तक बढ़ा सकता है। धरती के घुमाव को धीमा करने के अलावा, बांध ग्रह के प्लैनेट की स्थिति को करीब 2 सेंटीमीटर (0.8 इंच) तक स्थानांतरित भी कर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक यह ज्यादा नहीं है, लेकिन इंसान की बनाई संरचना के लिए काफी महत्वपूर्ण है। हालांकि ये परिवर्तन दैनिक जीवन में कुछ पलों के जैसे हैं, लेकिन यह दिखाते हैं कि इंसानी इंजीनियरिंग, सैद्धांतिक रूप में ग्रहों पर कैसे असर डाल सकती है।

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क्या डिजास्टर धरती के घूमने पर असर डाल सकता है?
यह मानना कि इंसानी गतिविधियां धरती के घूमने पर असर डाल सकती हैं, कोई नई बात नहीं है। बल्कि, नासा के वैज्ञानिकों ने काफी पहले इस दिशा में शोध किया था। इसके मुताबिक भूकंपों से धरती का घुमाव प्रभावित हो सकता है। नासा के शोध के मुताबिक साल 2004 में ऐसा हुआ भी था, जब हिंद महासागर में बड़े पैमाने पर भूकंप और सुनामी आई। इस विनाशकारी घटना के चलते बड़े पैमाने पर टेक्टोनिक प्लेट्स पर असर पड़ा था और एक दिन की लंबाई को 2.68 माइक्रोसेकंड तक कम हो गई थी। हालांकि थ्री गॉर्जेस डैम का प्रभाव भूकंप की तुलना में बहुत छोटा है।

 

 

 

किस घटना का दिन की लंबाई पर कितना असर?

-थ्री गॉर्जेस डैम: +0.06 माइक्रोसेकंड्स

-2004 का हिंद महासागर में भूकंप: -2.68 माइक्रोसेकंड्स

-जलवायु परिवर्तन (अनुमानित प्रभाव): धीरे-धीरे इजाफा

जलवायु परिवर्तन की क्या भूमिका
ऐसा नहीं है कि थ्री गॉर्जेस डैम जैसी इंसानी संरचना ही धरती के घूमने पर असर डालती है। जलवायु परिवर्तन भी इसके द्रव्यमान को शिफ्ट करने में बड़ा रोल निभाता है। दुनिया भर में तापमान बढ़ रहा है, ध्रुवों पर बर्फ पिघल रही है और समु्द्री जलस्तर में इजाफा हो रहा है। इससे भूमध्य रेखा के पास अधिक पानी जमा होता है। यह बदलाव भी धरती के घूमने की रफ्तार कम कर सकता है। नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक इंसान भी धरती के घूमने पर असर डाल रहा है।

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क्या इसका समय पर असर होगा?
सबसे बड़ा सवाल है कि अगर धरती के घूमने की रफ्तार धीमी हुई तो क्या इसका असर समय पर पड़ेगा? वैज्ञानिकों के मुताबिक आम इंसानी जिंदगी पर इससे बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। रोजमर्रा के जीवन में आप शायद इसे नोटिस भी नहीं कर पाएंगे। लेकिन एटॉमिक्स क्लॉक्स जैसे वैज्ञानिक यंत्रों को फिर से सेट करने की जरूरत पड़ सकती है। वहीं, कुछ वैज्ञानिकों का कहना है शायद कुछ दशक के बाद एक मिनट मात्र 59 सेकंड का ही रह जाए। इसके अलावा दिन की लंबाई में कमी, जीपीएस, सैटेलाइट और फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस पर भी असर डाल सकती है।

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