जांजगीर-चाम्पा. जिले में धान की फसल में आई बीमारी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं और किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. हजारों रुपये के कीटनाशक छिड़कने के बाद भी धान की फसल में बीमारी दूर नहीं हो रही है और धान की बाली खराब हो रही है. इस तरह आधे से ज्यादा उत्पादन प्रभावित होने को लेकर किसान परेशान हैं. कीटनाशक छिड़कने में किसानों की जेब ढीली हो गई, फिर भी फसल की बीमारी बनी हुई है.
दरअसल, धान की बाली के लाल होने और धान का दाना खराब होने की समस्या बढ़ गई है. ऐसे में उत्पादन काफी प्रभावित हो रहा है. किसानों को फसल की यह बीमारी समझ में नहीं आई, कीटनाशक का छिड़काव भी काम नहीं आया. नतीजा, किसानों ने कलेक्टर को समस्या से अवगत कराया. इसके बाद कृषि विभाग के अधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने जिले के कई गांवों का दौरा किया. किसानों से बात की और खेतों में पहुंचकर बीमारी से प्रभावित फसल का सैम्पल भी लिया है.
किसानों का कहना है कि हजारों रुपये का कीटनाशक भी कोई काम नहीं आया है. धान की बाली लाल हो गई है और फसल को आधा से ज्यादा नुकसान हुआ है.
कृषि वैज्ञानिक रंजीत मोदी का कहना है कि धान की फसल में मकड़ी बीमारी फैली है. कीटनाशक छिड़काव को लेकर किसानों को समय-समय पर सलाह दी गई थी. फसल में यह बीमारी अंदरूनी तरीके से फैलती है, जिससे किसानों को जल्दी पता नहीं चलता और जब तक पता चलता है, बाली खराब हो जाती है. फसल का सैम्पल लेकर जांच की जा रही है, ताकि आगे किसानों को परेशानी न हों.
कृषि विभाग के सहायक संचालक आरके सोनवानी ने बताया कि किसानों की समस्या जानने गांवों में जा रहे हैं और खेतों में जाकर बीमारी की जानकारी जुटाई गई है. इस बार धान की बाली तक बीमारी फैल गई है. ऐसे में अभी किसानों के लिए रास्ता नहीं बचा है, लेकिन अगली बार की फसल के लिए विभाग भी जांच के बाद किसानों को सलाह दे पाएगा. अभी जो बीमारी फसल में है, वह कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है. टीम में कृषि अधिकारी जेपी बघेल भी शामिल थे.