कोरबा. BMS के राष्ट्रीय प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी कोरबा पहुंचे. यहां उन्होंने SECL द्वारा किए रहे मजदूरों के शोषण को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि SECL को सिर्फ और सिर्फ कोल प्रोडक्शन से मतलब है. ठेका मजदूरों के हित में कोई भी विचार करने वाला नहीं है, वहीं ठेका मजदूरों के प्रतिदिन मानदेय 1250 रुपये है और वह सिर्फ कागजों पर है. धरातल पर किसी भी मजदूरों को इतना प्रतिदिन मानदेय नहीं मिलता है. उन्होंने कहा कि मजदूरों के हित के लिए इंस्पेक्शन करने के लिए केंद्रीय लेवल से टीम भेजनी चाहिए. कोल माइनिंग को केवल उत्पादन से मतलब है और ठेका मजदूरों का शोषण हो रहा है.
Korba : BMS के राष्ट्रीय प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी पहुंचे कोरबा, मजदूरों के मुद्दों पर कही बड़ी बात… Video
साथ ही, मजदूरों की सुरक्षा का भी कोई ध्यान नहीं है, इसलिए लगातार हादसे हो रहे हैं और मजदूरों की जान जा रही. अस्पताल में इलाज के लिए भी स्टॉफ की कमी है. उन्होंने खुलासा किया है कि 20 वर्ष पहले कोल इंडिया में साढ़े 6 लाख मजदूर थे और अब घटकर केवल 2 लाख बच गए हैं. उसमें भी 15 हजार केवल अधिकारी है और कोल इंडिया भर्ती नहीं कर रहा है.
BMS के राष्ट्रीय प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी ने आरोप लगाया कि कोल इंडिया मजदूरों के हित में सुरक्षा में ध्यान देना ही नहीं चाहता और कोल इंडिया का केवल अंधाधुंध उत्पादन पर ध्यान है.