अकलतरा. श्री ऋषभ विद्योदय महाविद्यालय एवं श्री ऋषभ औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बनाहिल अकलतरा में स्व. पं. जवाहरलाल नेहरू जी के जन्म जयंती एवं बाल दिवस के उपलक्ष्य पर “आनंद मेला” का आयोजन किया गया. इस अवसर पर कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती एवं छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा पर द्वीप प्रज्वलित कर की गई. बाल दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित आनंद मेला में महाविद्यालय और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. इस अवसर पर, उन्होंने विभिन्न स्टॉल्स लगाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. जैसे कि गुपचुप, चाट, इडली, ढोसा, भेल, अंकुरित चना, समोसा, पकौड़ा, चाउमीन, बटाटा, ठेठरी, रसगुल्ले, खुरमी, अईरसा, बोबरा, अंगाकर रोटी, सलौनी आदि. इन व्यंजनों के माध्यम से छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और छत्तीसगढ़ की व्यंजनों का महत्व उजागर किया. छात्र-छात्राओं ने अपनी रचनात्मकता और कौशल का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न व्यंजनों को बनाया और परोसा.



यह आयोजन न केवल छात्र-छात्राओं के लिए एक अच्छा अनुभव था, बल्कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और व्यंजनों को भी प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किया. महाविद्यालय के इस आयोजन ने छात्र-छात्राओं को अपनी प्रतिभा दिखाने और अपनी संस्कृति को पहचान करने का अवसर प्रदान किया. बाल दिवस के अवसर पर छात्र-छात्राओं के मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन किया गया. इन खेलों में बालक-बालिका गुब्बारे फोड़ना, कुर्सी दौड़, बिस्कुट दौड़, जलेबी दौड़ आदि शामिल थे.
महाविद्यालय के बालकों ने भी अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करते हुए एक दूसरे के बालों में चोटी बनाकर छात्र-छात्राओं के लिए मनोरंजन का अवसर प्रदान किया.
इस आयोजन ने छात्र-छात्राओं के चेहरे पर मुस्कान ला दी और उन्हें एक दूसरे के साथ मेल-जोल बढ़ाने का अवसर प्रदान किया.
इन खेलों और गतिविधियों ने छात्र-छात्राओं का न केवल मनोरंजन किया, बल्कि उन्हें टीम वर्क, सहयोग और मित्रता की भावना को भी बढ़ावा देने में मदद की. खेलों के आयोजन के पश्चात प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कार वितरण किया गया. इस अवसर पर उन्हें सम्मानित किया गया और उनका मनोबल एवं उत्साहवर्धन किया गया. बाल दिवस के अवसर पर महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने विज्ञान एवं कला प्रदर्शनी में विविध और रचनात्मक मॉडलों का प्रस्तुतिकरण किया. इनमें शामिल थे. कंप्यूटर के उपकरणों के मॉडल, गेहूं, दाल, सरसों और मूंग से बने गणेश जी की प्रतिमा कलाकृति से विश्वकर्मा जी की प्रतिमा मौलिक अधिकार और मूल कर्तव्य के मॉडल लोकतंत्र संबंधी मॉडल वायुमंडल की परतों का मॉडल धान से बने चिड़िया के घोंसले और कछुए के मॉडल जो छत्तीसगढ़ की पारंपरिक संस्कृति को दर्शाते हैं. छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और प्राचीन समय में लोग धान की बालियों से अपने घरों और आंगनों को सजाते थे. इस अवसर पर, छात्रों ने धान से बनी कलाकृतियों का प्रदर्शन किया, जो छत्तीसगढ़ की पारंपरिक संस्कृति और धरोहर को दर्शाती है. यह एक अद्भुत तरीका है अपनी संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखने का पारंपरिक छत्तीसगढ़ी आभूषण,मानव कंकाल और वाटर साइकल के मॉडल, साइबर सुरक्षा से जुड़े मॉडल, गुड़हल की आंतरिक सरंचना सम्बन्धी मॉडल, डीएनए मॉडल, चन्द्रयान 3 मॉडल,फ़ोटो सिंथेसिस मॉडल, खाद्य टीकाकरण मॉडल एवं विभिन्न प्रकार के पोस्टर की प्रस्तुति इत्यादि. इन मॉडलों के माध्यम से छात्र-छात्राओं ने अपनी रचनात्मकता, ज्ञान और कौशल का प्रदर्शन किया.






