राजीव लोचन साहू
जांजगीर-चाम्पा. जैजैपुर ब्लॉक के घिवरा गांव में महिलाओं को चूल्हे के धुंआ से बचाने धुआं रहित चूल्हा का निर्माण किया जा रहा है. इस कोशिश का नतीजा भी दिख रहा है और गांव में अन्य महिलाएं भी धुआं रहित चूल्हा बनवा रही हैं. इस चूल्हे में एक लोहे की पाइप लगी है, जिसमें से निकलकर धुआं, आसमान में चला जाता है.
इस तरह महिलाएं, जहां चूल्हे में खाना बनाती है, वहां धुआं नहीं रहता. यह जो प्रयोग हुआ है, वह महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है और घिवरा गांव के दूसरी महिलाएं भी अपने घर में धुआं रहित चूल्हा बनवा रही हैं. इस तरह मितानिन और मितानिन प्रेरकों का प्रयास रंग ला रहा है, क्योंकि वे घर-घर जाकर महिलाओं और ग्रामीणों को जागरूक कर रही हैं और धुआं रहित चूल्हा के फायदे से अवगत करा रही है. इसके निर्माण में बहुत ही कम खर्च आता है.दरअसल, गांवों में आज भी चूल्हा का इस्तेमाल खाना बनाने या दूसरे उपयोग के लिए किया जा रहा है. गांवों में कंडा और लकड़ी को जलाने से चूल्हे में धुआं निकलता है, जिससे महिलाओं को कई तरह की बीमारी होने की संभावना रहती है. बरसों पुरानी इस समस्या से ग्रामीण महिलाएं जूझ रही हैं.फिलहाल, घिवरा गांव में मितानिनों ने जिस तरह की कोशिश शुरू की है, उससे महिलाओं को चूल्हे के धुएं से मुक्ति मिलनी शुरू हो गई है. मितानिनों के द्वारा घर-घर जाकर महिलाओं और लोगों को जागरूक किया जा रहा है और महिलाएं आगे बढ़कर धुआं रहित चूल्हा को बनवा रही हैं. इस चूल्हे को बनाने में ज्यादा खर्च भी नहीं है.
मिट्टी के चूल्हे के साथ एक लंबी पाइप की जरूरत होती है और चूल्हा में जब आग जलती है तो चूल्हे में लगी लंबी पाइप से धुआं आसमान में चला जाता है और खाना बनाने वाली जगह में चूल्हे के आसपास कोई धुआं नहीं रहता.