नई दिल्ली – विश्व में विचित्र जनजाति जंगलों में रहती है। जिसका रहन-सहन बिल्कुल अगल ही है। कुछ जगहों पर जाने के लिए तो सरकार ने प्रतिबंध लगाकर रखा है। अफ्रिका महाद्वीप के जंगलों में आपको ऐसी जनजाति देखने को मिलेगी जो शहरी और बाहरी वातावरण ने वाकिफ ही नहीं है। लेकिन आज जिस जनजाति के लोगों के बारें में बताने जा रहा हूं वह भी बिल्कुल अलग ही है। दुनिया में एक ऐसी जनजाति भी है। जहां के लोग अपनों के मरने के बाद उसकी लाश को खा जाते है।
जैसा की हम सभी जानते है कि मरने के बाद लोगों को या तो दफनाया जाता है या फिर जलाया जाता है। लेकिन यह जनजाति लाश को न तो दफनाती है न तो जलाती है। बल्कि मौत होने के बाद अपनों की लाश का सेवन करते है। यह वहां कि पुरानी परंपरा है जो आज भी वहंा के लोग अपना रहे है।
जिस जनजाति की बात की जा रही है वह साउथ अमेरिका के ब्राजील में पाई जाती है और इस जनजाति का नाम है यानोमामी। यानोमामी जनजाति के बारे में एक रिपोर्ट ने लिखा था कि इस जनजाति के लोगों को यनम और सीनेमा के नाम से भी जाना जाता है। ये जनजाति अभी भी अपनी पुरानी परंपरा को मानती है। इनपर अब तक आधुनिकीकरण और पश्चिमीकरण का असर नहीं हुआ है।
इस जनजाति के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं का अनुपालन करते है। और बाहरी लोगों की दखलअंदाजी को पसंद नहीं करते। बाहरी लोगों को यहां खतरा है। जनजाति के लोग उन्हें अपने में शामिल नहीं होने देते और कई बार उन पर हमला कर देते है। इन जनजाति के लोगों का अंतिम संस्कार बहुत ही अजीब है। जिसे एंडो-केनिबलवाद कहते है।
यह जनजाति परंपरा के अनुसार अगर घर में किसी की मृत्यु हो जाती है तो घर के बाकी लोग एकत्रित होकर मरने वाले की लाश पूरी तरह से खाते है। इस परंपरा के मुताबिक पहले शव को जलाया जाता है फिर चेहरे पर पेंट किया जाता है और घर के सभी लोग उसे खाते है। ये लोग गीत गाकर मौत का दुख मनाते हैं। भले ही आपको ये अजीब लगे, लेकिन सालों से ये लोग इसी परंपरा को मानते आ रहे है।