इंजीनियर करने के बाद भी बैठा हुआ है… यह सुनाने वाले आज उत्कर्ष गौरव से खुद को करीब बताना चाह रहे हैं। यही है संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा पास करने से मिली ताकत। नालंदा के निवासी उत्कर्ष ने एक’ इंटरव्यू में बताया कि आज गांव में रहकर भी देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास की जा सकती है, लेकिन टाइम मैनेजमेंट इस तरह किया जाना चाहिए। यह भी बताया कि कैसे वह पहले के अटैम्प्ट में पिछड़ रहे थे, लेकिन इस बार क्यों इंटरव्यू तक निकाल लिया।
पहले जानिए, उत्कर्ष गौरव के बारे में…
सिविल सेवा परीक्षा 2022 उत्कर्ष गौरव नालंदा के भागन बीघा के अमरगांव निवासी हैं। उन्होंने बेंगलुरु से 2018 मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। इसके बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। उत्कर्ष गौरव के पिता किसान हैं। मां हाउसवाइफ हैं। एक भाई और एक बहन हैं। बहन छोटी हैं। घरवाले उत्कर्ष को गोलू कहकर बुलाते हैं। गांव में ही रहकर उत्कर्ष ने तैयारी की और सफलता पाई।
जानिए ऑब्जेक्टिव सवाल और उसके जवाब
सवाल – यह कितना अटैम्प्ट था?
उत्कर्ष गौरव – चौथा प्रयास
सवाल- मेंस तक कितनी बार पहुंचे थे?
उत्कर्ष गौरव – यह पहली बार था।
सवाल- इंटरव्यू तक कितनी बार पहुंचे?
उत्कर्ष गौरव- पहली बार पहुंचा था।
सवाल- इसका विचार कब से आया था?
उत्कर्ष गौरव- BTECH के बाद
सवाल- इसकी तैयारी कबसे शुरू की थी?
उत्कर्ष गौरव- 2019 से मार्च
सवाल – सोशल मीडिया पर एक्टिव थे या नहीं? कितना समय किस तरह देते थे?-
उत्कर्ष गौरव- कॉलेज के दिनों में काफी एक्टिव रहता था। बाद में जब सिविल सेवा की तैयारी में शुरू की तो सोशल मीडिया पर कम समय दे पाता था। ज्यादा समय देने से ध्यान भटकता है। इसलिए एक सीमित समय के लिए सोशल मीडिया पर एक्टिव रहता था। लोगों से जुड़ाव के लिए फोन कॉल का उपयोग करता था। यूट्यूब की मदद से ऑनलाइन पढ़ाई की। इस पर 4 घंटे तक पढ़ाई करता था। जैसे सामान्य ज्ञान से जुड़ी जानकारी देखना, ज्योग्रॉफी (वैकल्पिक विषय) के नोट्स बनाने के लिए मदद आदी के लिए यूट्यूब का उपयोग करता था।
सवाल- सेल्फ स्टडी की, कोचिंग किया या सेल्फ स्टडी के साथ ऑनलाइन तैयारी की?
उत्कर्ष गौरव- टेक्निकल बैकग्राउंड होने के कारण पॉलिटिकल साइंस, हिस्ट्री जैसे विषयों के लिए कोचिंग की आवश्यकता पड़ी थी। 8 माह कोचिंग करने के बाद कोरोना आ गया। घर लौटना पड़ा। इसके बाद वापस नहीं जा पाया। दिल्ली में पढ़ाई करने में खर्च काफी आते हैं और समय भी काफी लगता हैं। जैसे कोचिंग जाने में, खाना बनाने या होटल में खाने के लिए आने-जाने में। घर में रहने से इन सब चीजों का सामना नहीं करना पड़ा, जिससे समय की बचत हुई। घर का खाना मिलता था, जिससे मैं बीमार भी नहीं पड़ता था और मेरे पैसे भी बच जाते थे। इसके बाद ऑनइलान स्टडी कर अपनी तैयारी पूरी की। इंटरव्यू के समय दिल्ली गया था। वहां 7 मॉक इंटरव्यू दिया। इसके बाद वापस घर आ गया।
सवाल- दृढ़ इच्छा, मेहनत, पढ़ाई का माहौल, पढ़ाई की सुविधा और भाग्य के बारे में क्या कहेंगे?
उत्कर्ष गौरव- सिविल सेवा की तैयारी के लिए दृढ़ इच्छा का होना बेहद जरूरी है। जब तीसरे प्रयास में मैं प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाया तो पूरी तरह टूट चुका था। मेरे सारे दोस्त जॉब में थे। गांव में लोग कहते थे कि इंजीनियरिंग करके बैठा हुआ है। लेकिन, घर वालों ने समझाया और हार नहीं मानने की बात कही। इसके बाद मैंने ठान लिया कि कुछ भी हो लेकिन यूपीएससी क्रेक करना ही है। घर में पढ़ाई का अच्छा माहौल मिला। लक की बात 80 और 20 प्रतिशत वाली है। अगर हम 80 प्रतिशत मेहनत करते हैं तो 20 प्रतिशत लक होना जरूरी है। कई बार हम मेहनत करते लेकिन 1 नंबर से चूक जाते हैं तो यह लक ही है। जैसे मेरा तीसरा प्रीलिम्स एक सवाल से छूट गया था। इसमें मेरी मेहनत में कमी नहीं थी। इसलिए मेरा मानना है कि मेहनत के साथ लक (भाग्य) का होना भी जरूरी है।
सवाल- प्राथमिक परीक्षा में किस बात पर फोकस?
उत्कर्ष गौरव- प्रीलिम्स में आपको पिछले सालों में पूछे गए प्रश्नों पर फोकस करना चाहिए। इन प्रश्नों को समझना जरूरी है। यह आपको तार्किक बनाएगा और यूपीएससी के प्रश्नों को पकड़ने में मदद करेगा। मैंने भी यही किया। पिछले 10 साल के प्रश्नों को अच्छे से समझा। इन सवालों को कई बार बनाया। इसके अलावा जीएस पर फोकस करना है। न्यूज और आपके आसपास क्या हो रहा है, इसपर भी ध्यान रखना होगा, क्योंकि इससे आपकी सोच विकसित होगी। यह आपको प्रश्नों के उत्तर देने में मददगार साबित होगी।
सवाल- मेंस एग्जाम के समय सबसे ज्यादा ध्यान किस बात का रखा?
उत्कर्ष गौरव- मेंस में सबसे ज्यादा समय और कंटेट पर फोकस किया था। 3 घंटे में क्या लिखना और कितना सटीक लिखना है। फालतू की कहानी बचाने से बचना चाहिए। तेजी से लिखने का प्रैक्टिस करना चाहिए ताकि 3 घंटे में आप सारे सवालों का जवाब दे दें।
सवाल – इंटरव्यू में क्या सवाल पूछे गए थे?
उत्कर्ष गौरव- इंटरव्यू पैनल चेयरपर्सन समेत पांच लोग थे। सबसे पहले मैंने अपने बारे में बताया। पैनल ने मुझसे मेरे गांव के बारे सवाल किए गए। इसके बाद नालंदा के सामाझिक विषयों पर सवाल पूछा गया। पैनल में बैठ एक सर ने वाटर प्यूरीफायर के बारे में पूछा। मेरे पिता किसान हैं इसलिए उन्होंने आज के बिहार में किसानों की समस्या के बारे में पूछा। बिहार के किसान क्यों पिछड़े हैं, इसपर प्रश्न पूछा गया। इसी से कई सवाल भी पूछे गए। करीब 35 मिनट तक इंटरव्यू चला।
सवाल- क्या मिला है और इससे बिहार को क्या देंगे?
उत्कर्ष गौरव- पहला IAS और दूसरा IFS और तीसरा इंडियन रेवेन्यू सर्विस का ऑप्शन चुना। बिहार में काम करने का मौका मिला तो यहां स्वास्थ्य, शिक्षा और यहां के किसानों की समस्या पर काम करना चाहूंगा। साथ ही बिहार में रोजगार के अवसर बढ़े इस पर फोकस करूंगा, ताकि पलायन रूक सके।