नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 20 वर्ष का कठोर कारावास, फास्ट ट्रैक कोर्ट के विशेष न्यायाधीश का फैसला

जांजगीर-चाम्पा. फास्ट ट्रैक कोर्ट सक्ती के विशेष न्यायाधीश यशवंत कुमार सारथी ने 17 वर्ष की नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में अभियुक्त के विरुद्ध आरोपित अपराध दोष सिद्ध पाए जाने पर आरोपी को 20 वर्ष की कठोर कारावास एवं अर्थदंड से दंडित करने का निर्णय पारित किया है।



विशेष लोक अभियोजक राकेश महंत फास्ट ट्रेक पोक्सो कोर्ट सक्ती के अनुसार, यह घटना चंद्रपुर थाना क्षेत्र की है। अभियुक्त 21 जनवरी 2020 को सवेरे 7 बजे नाबालिग बालिका को उसके घर से बहला फुसलाकर भगा कर अपने मोटरसाइकिल में बैठा कर अपने दीदी के घर संबलपुर उड़ीसा ले जाकर शादी करूंगा बोल कर नाबालिग बालिका के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया और इसके 2 माह पूर्व भी अभियुक्त ने नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म किया था.

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घटना की रिपोर्ट थाना में नाबालिग बालिका के पिता द्वारा दर्ज कराया गया था । पुलिस द्वारा अभियुक्त के खिलाफ धारा 363, 366 ,376 की उप धारा- दो (झ) भारतीय दंड संहिता एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर पुलिस द्वारा विवेचना किया गया । विवेचना के दौरान अभियुक्त से नाबालिग लड़की को बरामद कर अभियुक्त को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया एवं संपूर्ण विवेचना उपरांत आरोपी के खिलाफ अभियोग पत्र विशेष न्यायालय फास्ट ट्रेक कोर्ट सक्ती में प्रस्तुत किया गया था l न्यायालय द्वारा सभी पक्षों को अपने पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय देने के बाद विचारण उपरांत न्यायालय द्वारा निर्णय पारित किया गया l

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अभियोजन द्वारा अभियुक्त के खिलाफ आरोपित अपराध प्रमाणित कर दिए जाने से विशेष न्यायाधीश फास्ट ट्रेक कोर्ट सक्ती यशवंत कुमार सारथी द्वारा अभियुक्त को दोष सिद्ध पाए जाने पर अभियुक्त अटल माझी पिता रामू मांझी उम्र 20 वर्ष निवासी चंद्रपुर थाना चंद्रपुर को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6 के तहत 20 वर्ष की सश्रम कारावास एवं ₹10000 की अर्थदंड एवं भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के अपराध के लिए 1 वर्ष की सश्रम कारावास तथा 1000 ₹ अर्थदंड तथा धारा 366 के लिए 1 वर्ष की सश्रम कारावास एवं ₹1000 अर्थदंड की सजा अभियुक्त को दिया गया है l सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.

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