यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग के बीच यूक्रेन में फंसे भारत के छात्रों को लेकर स्वजनों की धड़कनें बढ़ी हैं। बराड़ा के कुछ बच्चे भी यूक्रेन में हैं और स्वजन पल-पल का अपडेट फोन के माध्मय से ले रहे हैं।
उधर, एसडीएम बराड़ा भी इन बच्चों के स्वजन से मिले और कहा कि सरकार बच्चों को भारत लाने के लिए पुरजोर कोशिशों में जुटी है। कई भारतीय छात्रों को भारत लाया गया है, जबकि अब आपरेशन गंगा के तहत अभियान को और तेज कर दिया गया है। एसडीएम ने मुलाना निवासी रविंद्र सैनी, बुढियो निवासी आंचल, गजल मोर निवासी बुढियो, सरकपुर निवासी विशाखा तथा उगाला निवासी प्रगुन के घर जाकर उनकी वर्तमान लोकेशन जानी है।
आंचल से पिता बोले – फौजी की बेटी हो हौसला मत खोना
यूक्रेन के खारकीव में एमबीबीएस के पांचवें वर्ष की पढ़ाई कर रही आंचल के पिता रमेश पाल आर्मी से सेवानिवृत हैं। उन्होंने बताया कि जंग के पहले दिन से ही खारकीव में हालात नाजुक बने हुए है। ऐसे में बेटी का फोन आया तो वह घबराई हुई थी। उसका हौसला बढ़ाते हुए उसे कहा कि फौजी की बेटी हो हौसला मत खोना। बेटी आंचल ने भी हौसला रखा और खारकीव से ट्रेन के द्वारा बार्डर के लिए निकल गई। रमेश पाल के अनुसार वह हर दस मिनट की अपडेट लेते रहे हैं। बेटी बता रही है कि सफर में मिसाइल व बमबारी की आवाजें आती रहती हैं। मंगलवार को आंचल ने हंगरी बार्डर पार कर लिया, जिससे अब स्वजन भी चैन की सांस ले पाए हैं।
अभिनव दो दिनों से पोलैंड बार्डर पर
मुलाना के रहने वाले अभिनव शर्मा के पिता राजिंदर शर्मा ने बताया कि उनका बेटा दो दिन से पोलैंड के बार्डर पर है । लेकिन वहां भारतीय छात्रों सहित यूक्रेनियन की ज्यादा भीड़ होने के कारण बार्डर पार करना चुनौती बना हुआ है। उन्होंने बताया कि दो दिन से उनका बेटा बिना कुछ खाए बार्डर पर है। पोलैंड बार्डर पर यूक्रेनियन को प्राथमिकता दी जा रही है,। जिसके चलते समस्या आ रही है।
नौ किमी पैदल चलकर रविंद्र पहुंचा मेट्रो स्टेशन
मुलाना के ही रहने वाले रविंद्र कुमार ने बताया कि खारकीव में बमबारी और मिसाइलों के माहौल में बाहर निकलना भी मुश्किल हो रहा है। मेट्रो स्टेशन तक पहुंचने के लिए करीब नौ किलोमीटर दूर पैदल ही चलना पड़ा। लवील के लिए ट्रेन से सफर शुरू किया, जबकि वह देर रात लवील पहुंच गया।