Full form of SDM: एसडीएम का फुल फॉर्म सब डिविजनल मजिस्ट्रेट है. जिलों को विभाजित करके सब डिविजन्स बनाए जाते है. सब डिविजन एसडीएम द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो कि जिला स्तर (district level) से नीचे प्रशासनिक अधिकारी (administrative officer) होता है, अधिकारियों का पद देश की सरकारी संरचना पर आधारित होता है.
एसडीएम के पद पर काम करने वाला ‘कलेक्टर और Executive Magistrate’ की पावर का लाभ उठाता है. एक एसडीएम State Civil Services का सीनियर ऑफिसर भी हो सकता है. भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service) का जूनियर मेंबर भी एसडीएम हो सकता है.
एसडीएम को जो ड्यूटी सौंपी जाती हैं वे 1973 criminal procedure code के तहत आती हैं. एसडीएम कई अन्य छोटी-छोटी कार्रवाइयों के तहत विभिन्न मजिस्ट्रेटी कर्तव्यों का संचालन भी करता है. यह आमतौर पर एक पीसीएस रैंकिंग अधिकारी होता है. एसडीएम को कलेक्टर मजिस्ट्रेट, टैक्स इंस्पेक्टर द्वारा अधिकृत (authorized) किया जाता है.
सभी तहसीलें या subdivisions मजिस्ट्रेट के नियंत्रण में होते हैं. SDM का अपने सबडिविजन के तहसीलदारों पर पूर्ण नियंत्रण होता है. वह अपने अनुमंडल के जिला अधिकारी और तहसीलदार दोनों के बीच संबंध की का लिंक बनाए रखता है.
एसडीएम को जो जिम्मेदारी सौंपी जाती हैं. उसमें वाहन पंजीकरण (Vehicle registration), राजस्व का कार्य (Function of revenue), चुनाव आधारित कार्य (Election based work), विवाह पंजीकरण (Marriage registration), ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण और जारी करना (Renewal and issue of driving license), शस्त्र लाइसेंस का नवीनीकरण और जारी करना (Renewal and issue of arm license), ओबीसी, एससी/एसटी और डोमिसाइल जैसे प्रमाणपत्र जारी करना (Issues of certificate like OBC, SC/ST and Domicile) शामिल हैं.
केरल और तमिलनाडु में इस पद को सब कलेक्टर के रूप में जाना जाता है. जब आईएएस अधिकारी Revenue Division के officer-in-charge बन जाते हैं, तो उन्हें आम तौर पर Sub Collectors कहा जाता है. उनके पास sub-division में Sub Divisional Magistrate, की भूमिका भी होती हैं. उन्हें आमतौर पर सब कलेक्टर के रूप में जाना जाता है.