पाकिस्तान में हर दिन लगता है बस आज नई सरकार बन जाएगी लेकिन शाम होते-होते बैठकों के अजीबोगरीब दौर के बाद बात कल पर टल जाती है. चुनाव हुए 15 दिन हो गए, अब जाकर मोटा-माटी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के बीच सरकार बनाने को लेकर कुछ ठोस सहमति बन पाई है लेकिन वह अमल में अब तक नहीं आ सका है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शहबाज शरीफ नए प्रधानमंत्री होंगे और आसिफ अली जरदारी देश के राष्ट्रपति का पद संभालेंगे. इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ इसको धांधली की सरकार कह रही है. पीटीआई का मानना है कि उसके आजाद उम्मीदवारों को जनता ने जीताया मगर चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली कर उन्हें हरा दिया गया.
इमरान खान क्यों पहुंचे IMF
अब इमरान खान इस आरोप को लेकर दुनिया के उस संस्थान के पास पहुंचे हैं जिस के दरवाजे पर नई सरकार को दस्तक देनी ही होगी. हम बात आईएमएफ की कर रहे हैं. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्र कोष के एक पैकेज से दूसरे पैकेज की बदौलत पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की गाड़ी आगे बढ़ती है और ये कोई नई बात नहीं है.
पाकिस्तान को आईएमएफ की अब लत लग चुकी है. इमरान खान इस बात को अच्छी तरह जानते हैं. इमरान खान फिलहाल जेल में बंद हैं और साइफर से लेकर तोशाखाना मामले में सजा काट रहे हैं. वे आईएमएफ को जेल ही से एक पत्र लिखेंगे जिसमें पाकिस्तान की सरकार से कोई भी बातचीत करने से पहले 8 फरवरी के चुनाव नतीजों की स्वतंत्र ऑडिट की मांग करेंगे.
IMF और पाकिस्तान में क्या होनी है बात
पिछले साल गर्मी के दिन थे जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एक बेलआउट पैकेज पाकिस्तान के लिए जारी किया. इसी की बदौलत पड़ोसी देश पाकिस्तान डिफॉल्ट होने से बच गया. लेकिन अब एक अड़चन है. आईएमएफ का कार्यक्रम अगले महीने समाप्त हो रहा है और नई सरकार को एक लंबे समय तक अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए आईएमएफ से एक मुकम्मल बातचीत की दरकार होगी.
पाकिस्तानः धांधली और चुनाव आयोग
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था फिलहाल 350 अरब डॉलर की है लेकिन वह भयानक महंगाई और विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रही है. इमरान ने इसी आईएमएफ से गुहार लगाई है कि बातचीत नए सिरे से शुरू हो, उससे पहले चुनाव की ऑडिट होनी चाहिए. इमरान की पार्टी जिस धांधली की बात कर रही है, पाकिस्तानी चुनाव आयोग उस से इनकार करता है.
इमरान खान के वकील की दिलचस्प दलील
पाकिस्तान का इलेक्शन कमीशन चुनाव में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाले नेताओं, उम्मीदवारों की शिकायतें सुन रहा है. इधर इमरान खान के वकील अली जफर ने आईएमएफ और यूरोपीय यूनियन जैसी संस्थाओं के इस प्रावधान को हाईलाइट किया है कि ये संगठन केवल इसी शर्त पर आर्थिक मदद देते हैं जब उस देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हुए हों और मुल्क एक अच्छे शासन और लोकतंत्र में आगे बढ़ रही हो. आईएमएफ क्या इमरान की पार्टी की अर्ज पर गौर करेगा, ये देखने वाली बात होगी.