नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म करने तथा गर्भपात कराने में सहयोग करने वाले आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा

जांजगीर-चाम्पा. फास्ट ट्रैक कोर्ट सक्ती के विशेष न्यायाधीश यशवंत कुमार सारथी ने 15 वर्ष 8 माह की अनुसूचित जाति की नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म कर जबरन गर्भपात कराने के मामले में अभियुक्तगण के विरुद्ध आरोपित अपराध दोष सिद्ध पाए जाने पर अभियुक्त एवं जबरन गर्भपात कराने में सहयोग करने वाले अभियुक्त के चाचा-चाची को भी आजीवन कारावास एवं अर्थदंड से दंडित करने का निर्णय पारित किया है।



विशेष लोक अभियोजक राकेश महंत फास्टट्रैक कोर्ट सक्ती के अनुसार, यह घटना शक्ति थाना क्षेत्र की है। 15 नवंबर 2019 को शाम को अपने घर से नाबालिग बालिका शौच के लिए खेत तरफ गई थी, तभी अभियुक्त वहां आया और जबरन नाबालिग बालिका के साथ मना करने के बाद भी नाबालिग बालिका को जान से मारने की धमकी देकर उसके साथ जबरदस्ती दुष्कर्म किया तथा घटना को अन्य किसी को बताने पर उसके घर में आग लगा देने की धमकी दी. इसके पश्चात दिसंबर 2019 तक अभियुक्त नाबालिग लड़की को डरा धमका कर जबरदस्ती उसके साथ बलात्कार करता रहा.

अभियुक्त द्वारा निरंतर बलात्कार करने से नाबालिग बालिका गर्भवती हो गई। इस बात को जब नाबालिग ने अभियुक्त को बताया तो अभियुक्त ने उसे अपने साथ अपने घर ग्राम तियूर ले गया, जिसे देखते ही अभियुक्त के चाचा-चाची ने कहा कि तुम निम्न अनुसूचित जाति की हो, तुमसे अभियुक्त शादी नहीं कर सकता. अभियुक्त ने भी कहा कि मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता, क्योंकि तुम निम्न अनुसूचित जाति की हो, ऐसा कह कर अभियुक्त गण ने नाबालिग लड़की को जातिगत अपमानित किया तथा अभियुक्त और उसके चाचा चाची ने मिलकर नाबालिग बालिका को जबरदस्ती हाथ पैर पकड़ कर गर्भपात की गोली खिला दिया और नाबालिग युवती को उसके गांव लाकर अभियुक्त ने छोड़ दिया, जिससे नाबालिग बालिका की गर्भपात उसकी मां की घर में हो गया।

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घटना के बारे में विस्तार से नाबालिग बालिका ने अपनी मां को बताई थी। घटना की रिपोर्ट नाबालिक की माता द्वारा थाना सक्ती में दर्ज कराई गई। जिस पर अभियुक्त बजरंग यादव पिता कार्तिक राम यादव उम्र 24 वर्ष निवासी बाराद्वार थाना बाराद्वार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376( 2)( ढ़ )तथा 376 (3) और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6, भारतीय दंड संहिता की धारा 506 पैरा – दो, 313 सह पठित धारा 34 एवं अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा 3(2 )(v) के तहत एवं अभियुक्त गण अभियुक्त के चाचा हरनलाल यादव पिता मंगलू राम यादव उम्र 31 वर्ष एवं अभियुक्त की चाची सुमित्रा बाई पति लकेश्वर यादव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 506 पैरा 2 , 313 सहपठित धारा 34 एवं अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा 3(2)( ट) अपराध पंजीबद्ध कर अभियुक्त गण को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड में जेल भेज कर थाना सक्ती द्वारा विवेचना किया गया. विवेचना उपरांत अभियुक्तगण के खिलाफ अभियोग पत्र विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।

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विशेष न्यायालय फास्टट्रैक कोर्ट शक्ति के न्यायाधीश यशवंत कुमार सारथी द्वारा उभय पक्ष को पर्याप्त समय अपने पक्ष रखने के लिए देने के पश्चात तथा संपूर्ण विचारण उपरांत निर्णय पारित किया गया l अभियोजन द्वारा अभियुक्त के खिलाफ आरोपित अपराध प्रमाणित कर दिए जाने से विशेष न्यायाधीश फास्ट ट्रेक कोर्ट सक्ती यशवंत कुमार सारथी द्वारा अभियुक्तगण को दोष सिद्ध पाए जाने पर अभियुक्त बजरंग यादव को पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के अपराध के लिए 20 वर्ष की कठोर कारावास एवं ₹10000 के अर्थदंड, भारतीय दंड संहिता की धारा 506 भाग 2 के अपराध के लिए 1 वर्ष के कठोर कारावास, भारतीय दंड संहिता की धारा 313/ 34 के अपराध के लिए 5 वर्ष का कठोर कारावास एवं ₹1000 के अर्थदंड तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा 3(2 )( v) के अपराध के लिए आजीवन कारावास तथा ₹5000 के अर्थदंड।

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अभियुक्त हरन लाल यादव एवं सुमित्रा बाई यादव को भारतीय दंड संहिता की धारा 506 भाग 2 के अपराध के लिए एक – एक वर्ष की कठोर कारावास, भारतीय दंड संहिता की धारा 313 /34 के अपराध के लिए 5 – 5 वर्ष का कठोर कारावास एवं 1 – 1 हजार रुपये का जुर्माना तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा 3(2 ) (v )के अपराध के लिए दोनों अभियुक्त गण को आजीवन कारावास एवं 5 – 5 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया है। अभियुक्त गण को दी गई सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी ।

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