( राजीवलोचन साहू ) जांजगीर-चाम्पा. मालखरौदा के बीरभांठा के दिव्यांग उत्तम लाल केंवट ने अपने हुनर से दिव्यांगता को मात दे दी है और लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं. दिव्यांग उत्तम लाल केंवट, लकड़ी से खिलौने बनाते हैं और खिलौनों की बिक्री कर अपने परिवार का पालन कर रहे हैं. छोटी-छोटी लकड़ी के टुकड़ों को मशीन से काटकर आकर्षक खिलौने का रूप दिया जाता है, जिसे खरीदने लोगों में उत्साह भी देखा जा रहा है. स्थानीय लोग भी दिव्यांग उत्तम लाल केंवट के स्वाभिमान की तारीफ करते हैं और प्रशासन, सरकार से दिव्यांग को आगे बढ़ाने के लिए मदद करने की मांग भी स्थानीय लोग कर रहे हैं.दरअसल, बीरभांठा के उत्तम लाल केंवट, जब 8 साल के थे, तभी वे दोनों पैर से दिव्यांग हो गए थे. 43 साल के उत्तम लाल केंवट ने अपने जीवन में काफी मशक्कत की. परिवार की माली हालत बेहतर नहीं होने से दिव्यांग उत्तम ने कुछ अलग करने का मन बनाया और दिव्यांगता को मात देते हुए खिलौने बनाने लगा. इस दौरान 3-4 विशेष तरह की मशीनें खरीदी और लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़ों को काटकर आकर्षक खिलौने तैयार करने लगे. खिलौनों को दिव्यांग उत्तम, खुद ही कलर करते हैं, फिर घर के सामने ही दुकान लगाकर खिलौनों की बिक्री करते हैं.दिव्यांग उत्तम लाल केंवट की मेहनत और खिलौने बनाने की विशेष कलाकारी से लोग प्रभावित भी होते हैं और लकड़ी के खिलौनों की खरीददारी करते हैं. लकड़ी से ट्रैक्टर, कार, बस समेत अन्य खिलौने बनाने का कार्य पिछले कई वर्षों से चल रहा है.दिव्यांग उत्तम लाल केंवट को सरकार से मदद की दरकार भी है. बेहतर मंच मिल जाए तो दिव्यांग उत्तम, अपने हुनर को और आगे बढ़ा सकते हैं. जिस तरह से उत्तम लाल केंवट ने दिव्यांगता को मात देकर स्वाभिमान की मिसाल पेश की है, यह हर किसी के लिए अनुकरणीय है. सरकार की ओर से अब एक ऐसी पहल की जरूरत भी है, जिससे दिव्यांग उत्तम लाल केंवट की पहचान, छग में बन जाए और उनके हुनर से बने खिलौने घर-घर पहुंच सके.