जांजगीर-चांपा. बीमा अवधि में खाताधारक की मृत्यु हो जाने के बाद भी बीमा कंपनी द्वारा क्लेम की राशि का भुगतान नहीं किया गया और न ही बैंक द्वारा एनओसी जारी की गई। जिसे सेवा में कमी मानते हुए जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को पर्सनल लोन की राशि ७ लाख रुपए ६ प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज के साथ ४५ दिनों के भीतर परिवादी को भुगतान करने तथा लोन एकाउंट पर लगे होल्ड को ४५ दिन के भीतर हटाने का फैसला सुनाया।
ग्राम कोनारगढ़ के वार्ड क्र. ३ निवासी कुलदीप सिंह ने १८ फरवरी २०२० को उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया कि उसकी पत्नी स्व. शशिबाला सिंह का भारतीय स्टेट बैंक शाखा पामगढ़ से ७ लाख रुपए का पर्सनल लोन लिया था। जिसकी बीमा अवधि २३ अक्टूबर २०१८ से २२ अक्टूबर २०१९ तक है। बीमा अवधि के दौरान ही उसकी पत्नी की १० अगस्त २०१९ को मृत्यु हो गई।
ऐसे में नॉमिनी होने के नाते मेरे द्वारा सभी औपचारिकता पूरी करते हुए पामगढ़ शाखा को बीमा कंपनी ने लोन की राशि राशि प्राप्त करने और एनओसी जारी करने के लिए आवेदन किया। उसके बाद भी बीमा राशि ७ लाख रुपए की उसकी पत्नी के खाते में समायोजित नहीं की गई।
मामले में उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष श्रीमति तजेश्वरी देवी देवांगन, आयोग के सदस्य मनरमण सिंह व श्रीमति मंजूलता राठौर ने सुनवाई के दौरान पाया कि परिवादी द्वारा समय में सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने के बाद भी बीमा कंपनी और बैंक शाखा द्वारा निराकरण नहीं किया गया जो सेवा में कमी को दर्शाता है। जिस पर आयोग ने प्रबंधक एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को परिवाद दायर करने की तिथि से लेकर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से 45 दिनों के भीतर बीमा की राशि ७ लाख रुपए परिवादी को भुगतान करने का आदेश दिया।
साथ ही, स्व. शशिबाला सिंह के बचत खाते पर लगाए गए होल्ड को ४५ दिनों के भीतर हटाने शाखा प्रबंधक को ओदश दिया, वहीं मानसिक क्षतिपूर्ति10000रुपय व वाद व्यय के रुप में २ हजार रुपए भी परिवादी को ४५ दिन के भीतर भुगतान करने का फैसला सुनाया।