जांजगीर-चाम्पा. भारतीय स्टेट बैंक पामगढ़ में एक खाता धारक की हत्या होने के बाद प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत बीमा की राशि हितग्राही के नॉमिनी को नहीं देने के मामले में उपभोक्ता आयोग ने इसे सेवा में कमी मानते हुए 45 दिनों के भीतर मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय के साथ बीमा राशि ₹200000 भुगतान करने का आदेश दिया है।
ग्राम भैंसों निवासी खीखराम निर्मलकर का खाता भारतीय स्टेट बैंक पामगढ़ में था। उक्त खाते से 31 मई 2019 को ₹12 प्रीमियम की राशि काटकर प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 12 रुपये का बीमा किया गया है। उक्त खाते में उसकी पत्नी श्रीमती चित्रेखा को नामीनि बनाया गया है। इसके कुछ दिनों बाद 26 जून 2019 को खीखराम की किसी ने हत्या कर दी। इसके बाद आवेदक चित्रेखा ने एसबीआई को बीमा का रकम भुगतान करने आवेदन किया। जिस पर एसबीआई और बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा कहा गया कि उसके पति की हत्या हुई है ना कि उसकी किसी दुर्घटना की वजह से मृत्यु हुई है, जिसके कारण बीमा दावा खारिज कर दिया गया।
इस पर आवेदक ने मामला उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है। जहां उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष श्रीमती तजेश्वरी देवी देवांगन, सदस्य मनरमण सिंह, श्रीमति मंजू लता राठौर ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद पाया कि समय में प्रीमियम काटने के बाद भी बैंक द्वारा बीमा राशि का भुगतान नहीं करना, सेवा में कमी की श्रेणी में आता है ।
साथ ही हत्या को भी दुर्घटना की श्रेणी में मानते हुए आयोग ने बीमा की रकम ₹200000 आवेदक को 45 दिनों के भीतर एवम 9 प्रतिशत की दर ब्याज भुगतान करने का आदेश दिया है। साथ ही आवेदक को ₹10000 मानसिक क्षतिपूर्ति व ₹2000 वाद व्यय स्वरूप भुगतान करने का फैसला सुनाया है।