ब्रिटेन के नए PM ऋषि सुनक के सामने आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर होंगी कौन सी चुनौतियां? 10 प्वाइंट्स में समझें

कंजरवेटिव पार्टी का नेतृत्व करने की रेस ऋषि सुनक जीत चुके हैं। पार्टी ने उन्हें अपना नया नेता चुन लिया है। सुनक ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यभार संभालेंगे। यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय मूल का व्यक्ति ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनेगा। हालांकि इससे ब्रिटेन पर छाए राजनीतिक और आर्थिक संकट के बादल कितने कम होंगे, यह देखना अभी बाकि है।



लिज ट्रस को 45 दिन के भीतर इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उनका लाया मिनी-बजट ने उलटा पड़ गया था। सरकार को उम्मीद थी कि बजट से उच्च मुद्रास्फीति से लोगों को राहत और ब्रिटेन के स्थिर विकास को गति मिलेगी। लेकिन योजना उलट गई और देश में लगभग एक वित्तीय मंदी की स्थिति पैदा हो गई। अब इस स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी सुनक पर है। सात हफ्तों के भीतर देश तीसरा प्रधानमंत्री देखने को तैयार है, ऐसे में राजनीतिक अस्थिरता भी एक चुनौती है।

आइए 10 प्वाइंट्स में समझते हैं कि सुनक का सामान किन आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियां से होनी है:

ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है। Institute of Fiscal Studies की मानें तो ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के आपूर्ति पक्ष में कमजोरी अब एक तत्काल चिंता का विषय है। जबकि उत्पादन इसकी पूर्व-कोविड प्रवृत्ति से 2.6% कम है। ऐसे में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को अतिरिक्त 1.4% की दर से बढ़ाना होगा।

अर्थव्यवस्था के सामने व्यापार की शर्तें भी एक प्रमुख चुनौती है। आने वाले दिनों में इससे घरेलू और कॉर्पोरेट दोनों क्षेत्रों पर असर पड़ेगा। आर्थिक रूप से कमजोर लोग इससे और परेशान हो सकते हैं। प्रमुख नीतिगत सवाल यह है कि इस नुकसान को कैसे आवंटित किया जाए।

मांग गिरने से निकट भविष्य में बेरोजगारी बढ़ने की आशंका है। भविष्य में बढ़ने वाली बेरोजगारी पर काबू पाना भी सुनक के लिए बड़ी चुनौती है।
मंहगाई और बढ़ सकती है। अध्ययन के मुताबिक, 2023 तक महंगाई उच्च स्तर पर पहुंच सकती है, जिससे निपटना चुनौतीपूर्ण होगा।

एक तरफ खुदरा महंगाई दर दोहरे अंकों में होने से जीवन यापन का संकट है। दूसरी ओर रुकी हुई आर्थिक वृद्धि की समस्या है, जो बदले में कम राजस्व और उच्च ऋण की ओर ले जाती है। अब अगर सरकार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए खर्च पर अंकुश लगाती है, तो यह आर्थिक विकास को और नीचे ले जाएगी। आईएफएस की रिपोर्ट कहती है कि यह किसी भी ब्रिटिश नीति निर्माता के लिए सबसे अधिक चिंताजनक है।

ऋषि सुनक के सामने सबसे पहली राजनीतिक चुनौती तो यही है कि उन्हें साबित करना है कि वह पार्टी को नियंत्रित कर सकते हैं।

कंजरवेटिव पार्टी के पास संसद में बहुमत है लेकिन वह ब्रेग्जिट समेत तमाम मुद्दों पर बंटी हुई है। ऐसे में पार्टी को एक करना भी एक चुनौती है।

आने वाले दिनों में पार्टी के ही कुछ लोगों द्वारा हाई टैक्स का विरोध किया जाएगा। लोग स्वास्थ्य और रक्षा जैसे क्षेत्रों के खर्च में कटौती का भी विरोध करेंगे। सुनक को ऐसे स्वरों को भी संभालना होगा।
ऋषि सुनक ब्रेग्जिट का समर्थन करते हैं। लेकिन पार्टी के कुछ लोग अभी भी यूरोपीय संघ के प्रति सहानुभूति रखते हैं। इस तथ्य को असंतुलन की तरह देखा जा रहा है।

उत्तरी आयरलैंड के साथ व्यापार के मुद्दे पर भी सुनक को दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
ऋषि सुनक की पत्नी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं,

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