बेहद दिलचस्प है भारत के इस गाँव की कहानी, देश की सेवा के लिए हर घर से बना है एक फौजी

दोस्तों भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के गाज़ीपुर ज़िले में एक गाँव है .जिसे एशिया का सबसे बड़ा गाँव कहा जाता है . सन 1530 में गहमर नाम के इस गाँव की स्थापना पटना और मुगलसराय रेल मार्ग पर सिकरवार वंश के राजपूतों द्वारा की गयी थी .618.33 हेक्टेयर में फैले हुए इस गाँव की कुल जनसंख्या की बात करे तो ये 1 लाख 20 हज़ार से भी अधिक है . सबसे बड़ा गाँव कहा जाने वाला ये गाँव 22 पट्टी में बंटा हुआ है.



इस गाँव की एक खास बात है और वो क्या बात है जानने के लिए खबर को अंत तक पढ़े .गहमर गांव की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि यहां हर घर से कोई न कोई भारतीय सेना में कार्यरत है. इसलिए इसे फ़ौजियों का गांव भी कहा जाता है. वर्तमान में गहमर गांव के लोग भारतीय सेना में जवान से लेकर कर्नल तक के पदों पर कार्यरत हैं. इस गांव के फ़ौजी कई युद्धों में भाग ले चुके हैं. इस गांव में कई परिवार ऐसे भी हैं जिनकी 5वीं पीढ़ी भी भारतीय सेना से जुड़ी हुई है.

एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर के पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी कुछ काम नहीं हैं. देश में आई प्राकृतिक आपदा और संकट के समय यहां की महिलाएं भी इसमें भाग लेती हैं. गहमर में बैंक, पोस्ट ऑफ़िस, हॉस्पिटल, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और टेलीफ़ोन एक्सचेंज जैसी बड़ी बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद हैं. गहमर को एशिया का सबसे बड़ा गांव ही नहीं, बल्कि ‘बड़े दिल वाले गांव’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां का हर घर देश की सेवा के लिए मर मिटने को तैयार रहता है.

चलिए अब एशिया के सबसे बड़े गांव ‘गहमर’ की इन विशेषताओं को भी जान लीजिये, गहमर गांव के क़रीब 10 हज़ार फ़ौजी भारतीय सेना में कार्यरत हैं, जबकि 14 हज़ार से अधिक भूतपूर्व सैनिक हैं.  प्रथम विश्वयुद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध, 1965, 1971 और 1999 भारत-पाक युद्ध में इस गांव के फ़ौजियों ने भाग लिया था. प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इस गांव के 228 सैनिक ब्रिटिश सेना में शामिल थे, इनमें से 21 जवान शहीद भी हुए थे. गाज़ीपुर से 40 किमी की दूरी पर स्थित गहमर गांव में एक रेलवे स्टेशन भी है, जो पटना और मुगलसराय से जुड़ा हुआ है.

गहमर गांव के उत्थान के लिए यहां के भूतपूर्व सैनिकों ने ‘पूर्व सैनिक सेवा समिति’ नामक संस्था का निर्माण भी किया है. 6- गहमर गांव 22 टोले में बंटा हुआ है. इस गांव की हर पट्टी का नाम किसी न किसी वीर या शहीद सैनिक के नाम पर है. इस गांव के सैकड़ों युवक गंगा तट पर स्थित ‘मठिया चौक’ पर सुबह-शाम सेना की तैयारी करते नज़र आ जाते हैं. भारतीय सेना हर साल गहमर गांव में भर्ती शिविर लगाया करती थी, लेकिन 1986 में इसको किसी कारण से बंद कर दिया गया.  भारतीय सेना ने गांव के लोगों के लिए सैनिक कैंटीन की सुविधा भी उपलब्ध कराई थी, लेकिन पिछले कई सालों से ये सेवा बंद हैगहमर असल मायने में एक आदर्श गांव है, यहां 10 से अधिक स्कूल, 2 डिग्री कॉलेज, 7 इंटर कॉलेज, 2 पोस्ट ऑफ़िस, 3 बैंक और 4 एटीएम मशीन,मौजूद हैं. ये साहित्यकारोंं का गांव भी माना जाता है. इनमें द्विवेदी युग के प्रसिद्ध जासूसी उपन्यासकार गोपालराम गहमरी, प्रसिद्ध गीतकार भोलानाथ गहमरी, प्रदीप पांडे ‘पुष्कल’, मिथलेश गहमरी, आनन्द गहमरी, फ़जीहत गहमरी प्रमुख हैं. नई पीढ़ी के साहित्यकारोंं की बात करें तो सिद्धार्थ सिंह ‘साहिल’, चंदन ‘कातिल’, रजनिश उपाध्याय ‘भोलु’ आदि प्रमुख हैं.

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